शिरपुर अंतरिक्ष पार्श्वनाथ में कल मचाया हुड़दंग, चाकू, डंडे, कई घायल और आज लग गई धारा 144 और अब मंदिर के अंदर पुलिस , भक्त बाहर

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20 मार्च 2023/ चैत्र कृष्ण चतुर्दशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन/EXCLUSIVE
शिरपुर अंतरिक्ष पारसनाथ जैन मंदिर के परिसर में आखिरकार पुलिस ने धारा 144 लगाई दी। आज सुबह मंदिर में किसी भी भक्तों को प्रवेश चार या पांच के ग्रुप से ज्यादा नहीं दिया जा रहा। यानी मंदिर प्रांगण में इस समय 70 से 100 पुलिस वालों के अलावा, 4 से 5 के समूह में जैन भाई दर्शन कर पा रहे हैं। कल जो निकलंक भवन के सामने तांडव दिखाया , हाथापाई की, चाकू मारे , कुर्सियां फेंकी, डंडों से पिटाई की, वह सब वीडियो में कैद हो गया। शायद यही चाहते हैं कि एक संप्रदाय दूसरे को उकसाए, वह उत्तेजित हो जाए और फिर उसके वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर फैला दो, f.i.r. करवा दो। इस तरह लेप से पहले इतना आतंक पैदा कर दो कि फिर दोबारा कोई लेप के क्रम में व्यवधान ना करें, वह लेप, जो शायद लेप के अलावा भी बहुत कुछ करने की मंशा हो सकती है।

हैरानगी तब होती है, जब दिगंबर समाज के बड़े-बड़े चैनल, जो रोज बड़ी संख्या में अभिषेक, शांतिधारा, प्रवचन दिखाते हैं , इस मसले पर गंभीरता से दिखाने में मौन रख जाते हैं।

हमारा सिर्फ विनय के अनुरोध , संप्रदायवाद छोड़ो, अपने को सिर्फ जैन से जोड़ो । आज प्रश्न सबके सामने सिर्फ एक है रेत और गोबर की प्रतिमा बनी है, तो दिगंबर भाइयों को अपना दावा तुरंत उसी क्षण छोड़ देना चाहिए। बगैर अदालत के निर्णय के। क्योंकि रेत गोबर की प्रतिमा, जिसके बारे में शुरू से श्वेतांबर भाई कह रहे हैं तो यह उन्हीं की बात मानना। सब जैन भाइयों के हित में है और अगर यह प्रतिमा पाषाण या कहे हार्ड स्टोन की है, तो श्वेतांबर भाइयों को तत्काल इससे दावा छोड़ देना चाहिए, क्योंकि आज तक, शुरू से, अदालत में यही कहते हुए लड़ रहे हैं, कि प्रतिमा रेत और गोबर की है, जिस पर लेप करना जरूरी होता है। यही दोनों के हित में है। और इसके लिए अदालत के निर्णय से पहले, समाज के दोनों संप्रदायों के वरिष्ठजन स्वयं जांच करवा कर, इस निर्णय पर पहुंच सकते हैं, क्योंकि आज अहिंसा के पुजारी हिंसा पर उतर आए हैं। लाठी-डंडों का इस्तेमाल कर रहे हैं। बाउंसरों को ला रहे हैं।

कल तक जो बाउंसर अपनी वेशभूषा में थे, अब दूसरी वेशभूषा में, रविवार को दिखाई दिए। चैनल महालक्ष्मी , आज सोमवार, रात्रि 8:00 बजे आपके सामने 18 मार्च और 19 मार्च के घटनाक्रम को लेकर आएगा , जो आपने आज तक नहीं देखा, और 18 मार्च की घटना में एक श्वेतांबर भाई के सर पर रोड मारी गई, उसके पहले का कारण क्या रहा? उन सब को, जो वीडियो में कैद होकर सामने आए, उनको भी बेनकाब करेगा, कि आखिर उकसाने वाला कौन है ? मारो मारो बोलने वाले, मुनिराजों की निंदा करने वाले कौन है? आचार्य श्री की छवि खराब करने के लिए, शर्मसार पोस्ट करने वाले कौन है ?क्या साजिश थी कि जो शस्त्र सहित बाउंसर हैं, उन्हें गर्भ ग्रह में भेजा जाए ? यह क्या षड्यंत्र था ? यह क्या चाल थी कि गर्भ गृह का कंट्रोल, हथियारबंद बाउंसरों को दे दिया जाए? 19 मार्च को जब सब कुछ शांत चल रहा था,

कोई कीर्तन कर रहा था, कोई भजन कर रहा था, कोई विधान कर रहा था। सुबह ही सारी योजना व्यवस्थित हो गई थी। फिर दोपहर को पुलिस थाने में ज्ञापन देने के बाद, क्यों एक संप्रदाय जानबूझकर , गैर अनुमति के निकलंक भवन के सामने से गुजरा, जिसमें कुछ के पास शस्त्र भी थे। उस निकलंक भवन में, उस समय वरिष्ठ निर्यापक श्रमण श्री योगसागर जी महाराज के साथ, अन्य संत गण भी ध्यान, सामायिक में लीन थे। तब मुनिराजों के प्रति अपशब्दों की बौछार, जो ध्वजा लेकर डंडे हवा में लहरा रहे थे , उनसे ध्वजा निकालकर डंडो की बरसात, चाकू मारने तक की घटना , हाथापाई, मारपीट, सबकुछ अहिंसा का नारा देने वालों ने, हिंसा का वह नंगा तांडव किया, जो किसी से छिपा नहीं ।

शनिवार को मंदिर परिसर में और कल, फिर निकलंक भवन के सामने और वीडियो में कुछ कैद हुआ। उनमें से कुछ, जो हमले कर रहे थे , वह निश्चय ही जैन के रूप में नकाब ओढ़े थे । कल तक काली यूनिफॉर्म पहनकर शस्त्रधारी बाउंसर अलग चमक रहे थे, तो आज वह शायद, श्रावक के मुखोटे पहनकर चल रहे थे, क्योंकि उनके दो तीन मिनट के तांडव के बाद, जैन भाइयों का जुलूस आगे बढ़ता गया। तनाव पैदा करने के पीछे क्या है षड्यंत्र? इनके जलूस के बारे में पुलिस थानेदार ने क्या कहा ? और लेप के कारीगर को, अब शांति बनने तक रोकने की किसने घोषणा की ?

ऐसा बहुत कुछ होगा आज, रात्रि 8:00 बजे, 20 मार्च को चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नंबर 1752, अपनी तरफ से कुछ नहीं, जो चित्र कहते हैं, वही अपने मुख से बोलते हैं। देखिएगा जरूर अंतरिक्ष पारसनाथ का भाग 7,किसकी साजिश, कैसे षड्यंत्र।