पाँचवे तीर्थंकर के 90 हजार करोड़ सागर बाद फिर भरत क्षेत्र में बरसने लगे करोड़ों रत्न

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धातकी खंड के पूर्व विदेह के वत्स देश के सुसीमा नगर के राजा अपराजित समाधि के बाद उपरिम ग्रैयेवक के प्रीतिकर विमान में आयु पूर्ण होने में अभी 6 माह बचे थे कि कौशाम्बी नगरी में राजा श्री धरण और रानी सुसीमा देवी के महल पर रत्नों की वर्षा शुरू हो गई। कौन कर रहा था वह रत्न वर्षा?

सुबह-दोपहर-शाम लगातार साढ़े तीन करोड़ रत्नों की वर्षा, ऐसा भरत क्षेत्र के अयोध्या में 90 हजार करोड़ सागर वर्ष से भी लाख वर्ष पूर्व हुआ था, जब 5वें तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ जी का जन्म हुआ था।

अब फिर कोई तीर्थंकर महारानी सुसीमा देवी के गर्भ में आयेगा और उनके गर्भ में आने के 6 माह पहले से सौधमेन्द्र की आज्ञा से कुबेर ने रत्नों की तीनों पहर वर्षा शुरू कर दी और फिर 6 माह बाद वह दिन आया माघ कृष्ण षष्ठी (जो हर वर्ष 23 जनवरी को है), जब प्रीतिकर विमान में आयु पूर्ण कर जीव महारानी के गर्भ में आया। ये थे छठें तीर्थंकर श्री पद्मप्रभु जी, जिनकी आयु 30 लाख वर्ष पूर्व थी और कद था 1500 फुट ऊँचा। लाल कमल के चिन्ह से आपकी प्रतिमाओं की पहचान होती है और काया का रंग भी लाल था।

बोलिये, छठें तीर्थंकर श्री पद्मप्रभु जी के गर्भ कल्याणक की जय-जय-जय।
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