हां योगी जी आपने सही कहा ज्ञानवापी में अगर त्रिशूल है, तो मस्जिद क्यों? पर यह बात अधूरी है, इसके आगे भी बहुत कुछ है

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03 अगस्त 2023/ श्रावण कृष्ण दौज /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन / EXCLUSIVE
अभी हाल में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने संवेदनशील ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे पर स्पष्ट रूप से कहा कि जब ज्ञानवापी के अंदर त्रिशूल है, तो उसे मस्जिद नहीं कहा जा सकता। यानी जब मंदिर के प्रतीक चिन्ह कहीं मिलते हैं, तो वह मस्जिद कैसे बन सकती है?

यानी अतीत के प्रतीकों को ध्यान में रखकर उस धार्मिक स्थल की पहचान करनी होगी। बिल्कुल सही कहा मुख्यमंत्री जी आपने। पर यह बात एक नहीं, सभी जगह लागू होनी चाहिए । अगर त्रिशूल है, तो मस्जिद नहीं। उसी तरह तीर्थंकर प्रतिमा है, तो वह जैन स्थल ही होगा, यह प्रमाण भी मानना होगा । जैन धर्म के दूसरे बड़े सिद्धशेत्र श्री गिरनार जी पर, आज ऐसा ही खेल हो रहा है।

अगर ज्ञानवापी मस्जिद के लिए आपका यह कहना कि मुसलमान भाइयों को स्वयं आकर अपनी गलती माननी चाहिए , तो वही बात बहुसंख्यक समाज के लिए गिरनार जी पर भी लागू होती है। जहां पर 22वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी की प्रतिमा उकेरी हुई है चरण थे, । और जिन को बदलकर एक अलग रूप दिया गया दत्तात्रेय के नाम पर आज आपकी पार्टी वोटों के सिर गिनने के लिए, उसे दत्तात्रेय कहती है ।

वहां की सत्ता भी यही कहती है ।अगर ज्ञानवापी के बारे में पूरा देश चाहता है कि उसकी सही पहचान हो, तो क्यों नहीं गिरनार की भी सही पहचान हो और भी अन्य तीर्थों की, जहां मस्जिद बना दी हो या कोई और धार्मिक स्थल बना दिया हो। जो प्राचीन रूप में था, उसे उसी रूप में रहना चाहिए, तो लगेगा आपकी सचमुच डबल इंजन वाली सरकार है। सत्य और न्याय वाले इंजन के साथ चलने वाली सरकार। प्रमाण आज भी जिंदा है, अभी मरे नहीं।

ऐसे ही कुछ प्रमाणों को लेकर चैनल महालक्ष्मी शुक्रवार रात्रि 8:00 के अपने विशेष एपिसोड नंबर 2029 समाज के सामने वह सबूत रखेगा। क्योंकि आज सत्ता का खेल ऐसा है जिसमें प्राचीन धार्मिक ग्रंथों को भी अमान्य करने में देर नहीं लगाते, विशेषकर जैन ग्रंथों को, जबकि अन्य के लिए प्रमाण सबको दिखाई दिए जाते हैं ।

अब आप ही के प्रमाणों से खुलासा करेंगे। ऐसे प्रमाण जो सरकारी कहे जाते हैं, आप सभी देखिएगा जरूर शुक्रवार 4 अगस्त को रात्रि 8:00 बजे।