जेसीबी द्वारा भी हल्की सी वेदी नही हुई टस से मस, फिर आचार्य भगवन्त ने एक श्रीफल मंगवाया, और हो गया चमत्कार

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1974

श्री दिगम्बर जैन समाज कुशलगढ़ जो कि अपनी एकता,दृढ़ संकल्प,संगठन व देव-शास्त्र गुरु के प्रति समर्पण के लिए जग विख्यात है,श्री समाज के कर्णधार श्रीमान जयंतीलाल जी सेठ,हंसमुख जी शाह व विजय जी कोठारी जिनको “श्री सन्मति रत्न” श्रेष्ठ श्रावक के रूप में नवाजा गया है।

ऐसी सुसंगठित समाज जिनके द्वारा पूज्यवर राष्ट्र गौरव चतुर्थ पट्टचार्य श्री सुनीलसागर जी गुरूराज की पावन निश्रा व मार्गदर्शन में प्राचीन वागोल पार्श्वनाथ जिनालय का अनुपम जीर्णोद्धार हुआ व अभी श्री अंदेश्वर पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र के मूल जिनालयों का कायाकल्प हो रहा है इसी श्रखंला में कुशलगढ़ नगरी के मध्य में स्थित श्री पार्श्वनाथ जिनालय जो कि जीर्ण हो रहा था उसके भी जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया।

नगर के मध्य स्थित इस जिनालय में मूल गर्भ गृह की वेदी को यथावत रखते हुए जीर्णोद्धार का लक्ष्य रखा गया लेकिन जैसे ही जिनालय की दिवालो को हटाया तो देखा कि यह जिनालय भी वागोल की तरह नींव रहित है अतः गर्भ गृह वेदी सहित सम्पूर्ण कार्य नवीन होना निश्चय हुआ।

अब जेसीबी यंत्र द्वारा वेदी को हटाने का प्रयत्न हुआ लेकिन वह वेदी टस से मस भी नही हुई। जेसीबी के हत्थों के ब्रास तक टूट गए लेकिन भारी प्रयास के बाद भी वेदी टूटने में नाकाम रही। जिसे देखकर जेसीबी संचालक,ठेकेदार से लेकर सम्पूर्ण समाज आश्चर्य चकित हो गयी। आखिर ऐसा कैसे सम्भव?? की एक शक्तिशाली जेसीबी से भी ये हल्की सी वेदी उखड़ नही रही है।

अंत मे समाज के आलागण पूज्यवर आचार्य श्री सुनीलसागर जी गुरूराज के चरणों मे गए और वस्तु स्थिति से अगवत कराकर समाधान मांगा।
जिस पर आचार्य भगवन्त ने एक श्रीफल मंगवाया उस पर पिच्छी रखकर भगवान पार्श्वनाथ सहित परम्परा के पूर्वाचार्य श्री आदि-कीर्ति-विमल-सन्मति सूरी भगवन्तों का स्मरण करते हुए आवश्यक विधि सम्पन्न की ओर समाज के मुखिया को कहा कि आप जाओ, यह श्रीफल उस वेदी पर रखदेना क्षेत्रपाल जी व यक्ष को आज्ञा दे दी है आगे का कार्य सहजता से हो जाएगा।

समाज के मुखिया ने गुरु आज्ञा व आशीष से परिपूर्ण अर्घ्य समपर्ण करते हुए वह श्रीफल उस वेदी पर रखा। और अचंभा की अल्प प्रयास व सहजता से ही वह वेदी उखड़ गयी।

जिसे देखकर श्रमिक से लेकर ठेकेदार, श्रावक से लेकर नगरवासी व जेसीबी संचालक सभी इस प्रत्यक्ष अतिशय को देखकर भगवान पार्श्वनाथ स्वामी व आचार्य श्री सुनीलसागर जी गुरूराज की जय जयकार करने लगे।

विजयादशमी पर 19 भव्यात्माओ के जैनेश्वरी दीक्षा के शुभ दिन भरी सभा मे कुशलगढ़ के श्री सन्मति श्रावक रत्न हंसमुख जी शाह ने इस प्रसंग को बताया तो सारा पांडाल गौरवान्वित हो उठा इसी दिन पूर्व केबिनेट मंत्री बागीदौरा विधायक महेंद्र जीत सिंह मालवीया,कुशलगढ़ विधायाक रमिला देवी ,हाथरस यूपी के विधायक सहित अनेक अतिथियो की उपस्थिति में श्री दिगम्बर जैन समाज कुशलगढ़ द्वारा पूज्य आचार्य श्री सुनीलसागर जी गुरूराज को अतिशय योगी की उपमा से अलंकृत किया गया जिस पर निस्पृहि गुरु ने यही कहा कि मुझे मेरे गुरु ने जो दिया है वही मेरे लिए सब कुछ है अन्य से मुझे कोई प्रयोजन नही किन्तु श्री समाज अपने आराध्य गुरु को भरी सभा मे “अतिशय योगी” उपमा से अलंकृत करके धन्य मान्य कर रही थी।
-शाह मधोक जैन चितरी