चतुर्थ कालीन चंद्रप्रभ मूर्ति – शत-प्रतिशत पारदर्शक स्फतिक मणिमय मूर्ति संपूर्ण जैन जगत का गौरव

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यह शत-प्रतिशत पारदर्शक स्फतिक मणिमय मूर्ति संपूर्ण जैन जगत का गौरव है। इस एक मूर्ति के कारण ही आज भी हमारी सुहाग नगरी जैन धर्मावलम्बियों के लिए तीर्थ बनी हुई है। फिरोजाबाद नगर धन्य है। भारत भर में इस प्रकार की दूसरी मूर्ति नहीं है।

यह चतुर्थ कालीन सर्वोतकृष्ट सतिशय मूर्ति है – आचार्य शिरोमणि श्री शांतिसागर जी महाराज।

नगर से चार मील दक्षिण की ओर यमुना तट पर स्थित चंद्रबाड़ा राज्य के राजा श्री चंद्रपाल जैन के पास यह मूर्ति थी। जब मुहम्मद गौरी ने राज्य पर आक्रमण किया तो उन्होने सुरक्षा हेतु यमुना मे प्रवाह कर दिया। बाद मे फ़िरोज़बाद के एक भक्त ने रात्रि में स्वप्न अनुसार बताई विधि से – टोकरी भर पुष्प यमुना के जल मे छोड़े, वह पुष्प एक जगह एकत्र हुए।

तभी एक चमत्कारी घटना घटी, वहाँ यमुना का पानी घुटने तक रह गय। इस प्रकार यह मूर्ति यहाँ लाई गई। सैकड़ों वर्षों से इसके दर्शन-पूजन से भक्तों को मनोकामना पूर्ण हो रही है। यह उन्ही विश्ववन्य अष्टम तीर्थकर की मूर्ति है।