पहली बार खुलासा: एक और दिखी तीर्थंकर प्रतिमा, ऊपर गिरनार पर, संभाल लो मोक्ष स्थली, कुछ टोंको पर अभी भी वजूद

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16 जुलाई 2023/ श्रावण अधिमास कृष्ण चतुर्दशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन/ दिल्ली/EXCLUSIVE

हैरानी होती है कि हम अपने दूसरे बड़े सिद्धक्षेत्र को जैसे गिफ्ट के रूप में देने के लिए तैयार खड़े हैं। आत्मसमर्पण को जैसे तैयार हो गए हैं। हाथ में सफेद पताका लेकर खड़े हो गए हैं । इस बड़े सिद्धक्षेत्र गिरनार के लिए ना कोई आंदोलन होता है, ना कहीं आवाज उठती है, ना कहीं ज्ञापन दिया जाता है, ना कहीं बैनर चलता है, ना सोशल मीडिया पर पोस्ट दिखती है , ना कोई कमेटी आगे आती है, ना किसी मंच से आवाज उठती है।

हां, उसी गिरनार पर एक और तीर्थंकर प्रतिमा , ऊपर टोंक पर दिखाई दी है, जिसके बारे में किसी दूसरे को तो क्या, जैन समाज, जैन कमेटियों तक को नहीं मालूम, लगभग वैसी ही प्रतिमा है, जैसी पांचवी टोंक पर तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी की मोक्ष स्थली पर थी, जिसे अब छिपा दिया गया है या मिटा दिया गया है, कुछ कहा नहीं जा सकता। चैनल महालक्ष्मी, हजार वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन प्रतिमा का पहली बार खुलासा करेगा, आपको दिखाएगा, ऊपर टोंक पर कहां पर है प्रतिमा? इसे खोदा नहीं गया, नई बनाकर नहीं रख दी ,जैसे नेमिनाथ टोंक पर दत्तात्रेय की मूर्ति रख दी गई है ।

कहीं कोई बदला नहीं गया। यह प्रतिमा उसी समय की है, जिस समय पांचवी टोंक पर तीर्थंकर नेमिनाथ जी के चरणों के पास उकेरी हुई प्रतिमा थी। इस बात की जांच कराई जा सकती है और जहां पर यह प्रतिमा है, वह एक संकेत करती है कि वह स्थान भी जरूर किसी महामुनिराज का मोक्ष स्थल रहा होगा, वरना ऐसे प्रतिमा को वहां चट्टान पर नहीं उकेरा जाता । आज तक कोई कमेटी जिसे देख नहीं पाई, ना जैन समाज को पता चला ।

ऐसा चित्रों के साथ, वीडियो के साथ, चैनल महालक्ष्मी, कल बुधवार 26.07.2023 रात्रि 8:00 बजे के विशेष एपिसोड नंबर 2010 में इसका खुलासा करेगा, गिरनार में दिखी फिर एक तीर्थंकर प्रतिमा हजार वर्ष प्राचीन। लगता है गिरनार के कण-कण में जैन विरासत छिपी हुई है , बस देखने वाली आंखें चाहिए, जो प्रतिमा आपने आज तक नहीं देखी, वह आपको बुधवार रात्रि 8:00 बजे के एपिसोड में चैनल महालक्ष्मी दिखाएगा और सभी से अपील करेगा कि आज भी दूसरी ,चौथी टोंक पर, जैन समाज अपना अधिकार बना सकता है, जहां की हालत बदतर हो रही है, केवल जैनों की अनदेखी के कारण और जो यह प्रतिमा दिख रही है, वहां पर भी टोंक बनाई जा सकती है।

शायद हम इतने लाचार, कमजोर, डरपोक, कायर हो गए हैं कि कुछ करना नहीं चाहते, हाथ पर हाथ धरकर बैठे रहना ही हमारी आज आदत बन गई है, एपिसोड नंबर 2010 में देखिएगा जरूर।