गिरनार पर खुशखबरी : जैनों पर ज्याददती नहीं होने देंगे- चैनल महालक्ष्मी से विशेष भेंट में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष का वायदा

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॰ जैनों को सुरक्षा औरअधिकार दोनों मिलेंगे
॰ आयोग जल्द यही नहीं, पूरा इंसाफ दिलाएगा

25 जनवरी 2024 / पौष शुक्ल पूर्णिमा /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
गिरनार का उर्जयन्त शिखर, दूसरी टोंक श्रीकृष्णजी के पोते श्री अनिरुद्ध स्वामी की, तीसरी टोंक श्री कृष्णजी के पुत्र श्री प्रद्युमन स्वामी जी, चौथी टोंक, जिस पर जाने के लिए टेढ़ी खतरनाक चढ़ाई, श्रीकृष्णजी के ही पुत्र श्री शम्भू स्वामी की और पांचवीं टोंक के नाम से जैनों में वंदनीय पूजनीय, श्रीकृष्णजी के चचेरे भाई और 22वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी का मोक्षस्थल, इसी टोंक से 536 महामुनिराज सिद्धालय गये हैं। वैसे गिरनार की पावन धरा से 72 करोड़ 700 मुनिराज सिद्धालय गये हैं।

पिछले 30-40 सालों में इस तीर्थ को जैन समाज से जैसे खींचने की, बदलने की कोशिशें लगातार हो रही हैं। वैसे आज से 19 साल पहले 17 फरवरी 2005 को गुजरात हाइकोर्ट ने इस पांचवीं टोंक पर जैन व दत्तात्रेय – दोनों के भक्तों के साथ पर्यटकों को भी, यहां समान रूप से दर्शन – पूजा अपनी-अपनी परम्परानुसार करने, उनकी सुरक्षा करने, और यथास्थिति बनाने का स्टे आर्डर दिया। पर तब से आज तक जैन भक्तों को अपनी परम्परा से दर्शन पूजन करने के अधिकार से वंचित रखा जा रहा है।

पिछले 6 सालों से तो इस टोंक से संबंधित जैनों के सबसे बड़े पर्व आषाढ़ शुक्ल सप्तमी को 22वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथजी के मोक्षकल्याणक के अवसर पर, ऊपर टोंक पर निर्वाण लाडू चढ़ाने तक के लिए रोक लगा दी जाती है। गजब यह कैसा इंसाफ है? वहीं दूसरी तरफ, दूसरे धर्म के बड़े त्यौहार के लिए प्रशासन व सत्ता पूरा सहयोग व इंतजाम करने के लिए हरकत में आ जाती है। जैन संतों व श्रावकों से मार-पिटाई, उल्टे ही उनके खिलाफ शिकायत करना, उल्टा उन्हें मारने, भगाने, पीटने की घटनायें सब दिखती हैं, पर कार्रवाही नहीं होती। इन सबके चलते, चैनल महालक्ष्मी और सान्ध्य महालक्ष्मी ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में जैन सदस्य श्री धन्य कुमार जिनप्पा गुंडे जी को 1800 से ज्यादा पृष्ठों की अपनी याचिका सभी प्रमाणों के साथ दी और उस पर उन्होंने विश्वास दिलाया कि इस पर आयोग जरूर कार्यवाही करेगा।

उन सब दस्तावेजों के बाद चैनल महालक्ष्मी और सान्ध्य महालक्ष्मी को आयोग के अध्यक्ष श्री इकबाल सिंह लालपुरा जी से इसी विषय पर भेंट करने का अवसर मिला और उनके सामने गिरनार की पूरी स्थिति संक्षिप्त रूप से हाइकोर्ट के स्टे के साथ बताई तो उन्होंने स्पष्ट कहा – ‘हम धर्म की बात कर रहे हैं, कानून की नहीं। धर्मस्थान धर्म के अनुसार ही चलने चाहिये। गिरनार के लिये आयोग धर्मगुरुओं से भी बात करेगा, समाज के लोगों से भी चर्चा करेगा, वहां की सरकार से भी बात करेंगे। सबसे बात करके जो धार्मिक मर्यादायें हैं, पूजा-पाठ की परम्परा है, वे केवल बहाल ही नहीं होनी चाहिए, बल्कि सामाजिक सुरक्षा का भी पूरा इंतजाम करेंगे। यानि जो जैन साधु हैं, जैन भक्त हैं, उन सबको पूर्ण सुरक्षा मिले, इसका पूरा प्रबंध करेंगे।’

आयोग अध्यक्ष महोदय की बातों से स्पष्ट था कि अब तक जैन समाज, उनकी कमेटी जो नहीं कर पाई, उसके लिए अब सान्ध्य महालक्ष्मी – चैनल महालक्ष्मी की याचिका पर कार्रवाई करते हुये राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग आगे आएगा और हाईकोर्ट ने जो अधिकार जैनों को दिया, उसका पालन कराने के लिये बातचीत से हल निकालेगा।

सान्ध्य महालक्ष्मी ने अध्यक्ष जी से पूछ ही लिया कि इसकी शुरूआत कब होगी – दो महीने या चार महीने? तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि इतनी देर नहीं होगी, जल्द करेंगे।

सान्ध्य महालक्ष्मी ने फिर पूछ लिया कि क्या जैन समाज आयोग पर इस बात के लिये भरोसा कर सकता है, तो अध्यक्ष महोदय ने स्पष्ट शब्दों में कहा – NCM तो हर माइनोरिटी के साथ खड़ा है। जब किसी माइनोरिटी के साथ ज्याददती होती है और हमें शिकायत करता है, जैसे जैनों के लिए आपने की है, तो यह हमारा काम है कि उसको इंसाफ दिलायें और उसके जीवन को सुरक्षित भी करें, उसकी इज्जत भी सुरक्षित हो और उसके अधिकारों की भी सुरक्षा करें, जिससे उसका मनोबल ना टूटे, वह अपने को अलग महसूस ना करे, इस देश में वह अपने को सुरक्षित महसूस करे। आपने जितनी बातें कहीं हैं, उनके बारे में सरकार से हम सिर्फ बात ही नहीं करेंगे, बल्कि कार्यान्वयन भी करेंगे और इसमें ज्यादा समय नहीं लगेगा।

इस पूरी वार्ता को आप चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नं. 2374 – ‘गिरनार खुशखबरी, NCM का पक्का इरादा, जैनों को पूजा दर्शन में बराबर का वादा’ देख सकते हैं।