कल्याण-पथ-आचार्य श्री सुनील सागरजी द्वारा पांच कल्याणकों से विज्ञान कसौटी पर हर समाधान-‘जीवन सुधार, छोड़ बुरी लत’

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05 अप्रैल 2024 / चैत्र कृष्ण एकादशी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
अपना कोई निजी प्रोजेक्ट या मठ नहीं, और अब सारवाड़ में 10 से 15 अप्रैल तक 50वां पंचकल्याणक करवाने के लिये सांगानेर से बढ़ रहे हैं आचार्य श्री सुनील सागरजी महामुनिराज। एक माह में लगातार 4 पंचकल्याणक, एक ही वर्ष में 10 पंचकल्याणक और एक ही प्रांत में 25 पंचकल्याणक करवा चुके आचार्य श्री सुनील सागरजी अनोखा पंचकल्याणक रिकॉर्ड बना चुके हैं। इन पाषाणों में भगवान बनाते हुए सूरिमंत्र ही नहीं दिये, बल्कि वहां आने वाले युवाओं को विज्ञान के पटल से मंदिरों से जोड़ने का भी बखूबी कार्य किया है। पांचों कल्याणकों के स्वरूप को अनोखे रूप में ‘कल्याण पथ’ के 160 पृष्ठों में समेट कर शब्दों में चिरअंकित कर दिया है।

‘गम भगायें, गर्भ कल्याणक मनायें’ में सदा कहते हैं कि इस देश में गर्भ कल्याणक मनाने की संस्कृति है, गर्भपात कराने की नहीं। आचार्य श्री उद्बोधन में स्पष्ट कहते हैं कि माताओं सहनशील बनो, क्षमाशील बनो। मां ही मां का सम्मान न करेगी, तो कौन करेगा। प्रत्येक आने वाला बीज अपना भाग्य लेकर आता है। इस कर्ताबुद्धि को छोड़ो कि हम उनका भरण पोषण कर रहे हैं। आप सोचिए, जिसे आपने मार डाला, वह चंदना, अंजना, सीता, राजुल बन सकती थी। आज ऐसे ही लड़कों को अच्छी लड़कियां नहीं मिल रही हैं। ऐसे ही चलता रहा तो संख्या के साथ संस्कारों में गिरावट आते देर नहीं लगेगी। वहीं पर सभी को ऐसा संकल्प दिलाना, संस्कारित करना स्पष्ट संदेश देता है कि अनमोल जिनधर्म को ठुकराने से न कोई सुखी हुआ है, और न ही होगा।

जन्म खाने-कमाने-भव बढाÞने के लिये नहीं, संसार से तर जाने के लिए है। मैगी खिलाकर गू पेट में मत डालो, कोल्ड ड्रिंक जहर है, पिज्जा-बर्गर सब अनंत जीवों का पिंड है। तन-मन-जीवन बर्बाद ना होने दें। सही कहते हैं आचार्य श्री –
जन्म लो तो वैसा लो कि जग निहाल हो जाये।
काम करो तो ऐसा करो कि कमाल हो जाये।।
सच है कल्याण पथ का मनन कर, जीवन सुधारने की प्रेरणा जरूर मिलेगी।
जलाने से चिराग जला करते हैं,खिलाने से फूल खिला करते हैं।
सपनों के महल भी बिना बनाये नहीं बनते,
सपनों के महल भी बनाने से बना करते हैं।


आज भी माता को पूजन देवदर्शन, तीर्थयात्रा, आहार दान के भाव जब हों, खाने-पीने-घूमने में रुचि कम हो, तो समझ लेना, कोई पुण्यात्मा उसके गर्भ से जन्म लेने वाला है।
इंसान ही भगवान बनता है, भगवान आसमान से नहीं आते। माता-पिता का आदर करना भारतीय संस्कृति है।

युवाओं को जगाते हुए आचार्य श्री सुनील सागरजी कहते हैं कि सुबह उठकर पहला लक्ष्य जिनाभिषेक पूजा, फिर काम दूजा, ऐसे जिसके संस्कार हैं, वह सहज रूप से देवायु का बंध करता है। सुबह के अभिषेक से ही पूरे दिन पॉजीटिव एनर्जी बनी रहती है, जिनेन्द्र भगवान के निकट आने वालों के सब संकट टल जाते हैं। अपने जीवन को कल्याणमय बनाना है तो आचार्य श्री सुनील सागरजी के प्रवचनों को आर्यिका सुदृढ़मति माताजी द्वारा संकलित और आर्यिका सुस्वर माताजी द्वारा सम्पादित ‘कल्याण पथ’ को पढ़ना ही नहीं, आचरण में लाना होगा। निश्चित ही फिर कल्याण के पथ पर अग्रसर होंगे।