जैन धर्म में वर्णन – 84 की संख्या का जैन शासन मे महत्व –

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आमतोर पर 84 की संख्या को योनि 84 की भव – भ्रमणा रुप जाना जाता है । आइये जानें संख्या 84 का कहाँ – कहाँ किस रुप में वर्णन आया हुआ है । कुछ उदाहरणः

०१) 84 लाख पूर्व वर्ष की आयु भगवान ऋषभदेव जी की
०२) 84 गणधर भगवान ऋषभदेव जी के
०३) 84 गण भगवान ऋषभदेव जी के
०४) 84 हजार साधु भगवान ऋषभदेव जी के
०५) 84 हजार वर्ष की आयु 18वें प्रभु भगवान अरनाथ जी की
०६) 84 लाख पूर्व वर्ष की आयु अरिहंत प्रभु जी (विहरमान प्रभु जी) की
०७) 84 लाख मंत्रों की उत्पत्ति हुई नवकार मंत्र के स्मरण से
०८) 84 हजार वर्ष तीर्थंकर जी का भरतक्षेत्र व ऐरावत क्षेत्र में विरहकाल
०९) 84 लाख हाथी भरत चक्रवर्ती की सेना में
१०) 84 लाख घोड़े भरत चक्रवर्ती की सेना में
११) 84 लाख पद प्रत्याखान प्रवाद पूर्व में 14 पूर्व का थोकड़ा
१२) 84 लाख वर्ष का एक पूर्वांग
१३) 84 लाख x 84 लाख वर्ष का एक पूर्व
१४) 84 लाख वर्ष आयु त्रिपृष्ठ़ वासुदेव की
१५) 84 लाख योनि (जीवों के उत्पत्ति स्थान)
१६) 84 हजार वर्ष नरकायु श्रेणिक राजा की
१७) 84 लाख नरकावास सभी 7 नरक के
१८) 84 अक्रियावादी स्थूल रुप पाखंडमत
१९) 84 गच्छ सम्प्रदाय
२०) 84 आसन योगाचार्य ने योग के बताये हैं
२१) 84 चौबीसी तक स्थूलिभद्र जी को याद किया जाता रहेगा
२२) 84 शिष्यों को एक साथ आचार्य पद की अनुज्ञा दी आचार्य उद्योतनसूरि जी ने
२३) 84 आगम वीर निर्वाण संवत् 980 में आचार्य देवर्धिगणी जी के नेतृत्व में लिपिबद्ध हुये
२४) 84 लाख मरण को पाये, महाशिलाकण्टक संग्राम में
२५) 84 लाख संख्या नागकुमार देवों के भवनों की
२६) 84 हजार श्रावकों को सोने के आभूषण से पेथड़सा ने सम्मानित किया
२७) 84 गमे टूटे (अशुद्ध) कहलाते हैं, महादण्डक थोकड़ा अन्तर्गत
२८) 84 लाख संख्या देव विमान पहले से पाँचवें देवलोक की
२९) 84 हजार योजन प्रमाण, पहली नरक रत्नप्रभा के मध्य पंकभाग का
३०) 84 हजार साधु जी के दर्शन जिनदास सेठ को 13वें प्रभु जी विमलनाथ भगवान के पास हुये और भक्ति करने के भाव रखे (विजय सेठ विजया सेठानी के समय, जिनका नाम 42 चौबीसी तक याद किया जाता रहेगा)
३१) 84 भेद शुक्ल लेश्या के 【10 तिर्यंच (5 सन्नी अपर्याप्ता पर्याप़्ता), 30 मनुष्य (15 कर्मभूमिज अपर्याप्ता पर्याप़्ता), 44 देवता (6ठे देवलोक से सर्वार्थसिद्ध विमान तक 22 जाति के देवता अपर्याप्ता पर्याप़्ता)】
३२) 84 आशातना मंदिर संबंधी बतायी गयी है
३३) 84 हजार वर्ष की उत्कृष़्ट स्थिति होती है असन्नी स्थलचर की
३४) 84 लाख जीवयोनि की गति व आगति स्त्री पुरुष नपुंसक वेद की
84 लाख जीवयोनि की गति व आगति मिथ्यादृष्ट़ि की
84 लाख जीवयोनि की आगति मिश्र दृष़्टि की
84 लाख जीवयोनि की गति व आगति सन्नी तिर्यंच पंचेन्द्रिय की
84 लाख जीवयोनि की गति असन्नी तिर्यंच पंचेन्द्रिय की
84 लाख जीवयोनि की गति सन्नी मनुष्य की
84 लाख जीवयोनि की गति मांडलिक राजा की

84 की संख्या संबंधित उपरोक्त वर्णित कुछ संकलन किये हुये उदाहरण हैं, जिनका जैन धर्म में वर्णन आया है, ऐसे और भी हो सकते हैं ।