आषाढ़ शुक्ल पंचमी का वह 1968 का दिन , जैन जगत में हर समय चढ़ते सूरज की तरह ,पूर्णिमा के चांद की तरह जगमगाता चमकता रहेगा

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3 जुलाई 2022/ आषाढ़ शुक्ल चतुर्थी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/

आषाढ़ शुक्ल पंचमी, हां वही दिन था 1968 का, जब अजमेर में एक युवा बाल ब्रह्मचारी को महाकवि और हीरे की पहचान करने वाले असली जौहरी, दादा गुरु आचार्य श्री #ज्ञान_सागर जी ने खान से उस रत्न को ढूंढ निकाला था और तराश कर विश्व को सौंप दिया। हां यह वही दिन है जब उस युवा बाल ब्रह्मचारी विद्याधर जी ने एक घर को छोड़कर , करोड़ों घरों में, दिलों में, अपनी जगह बना ली और आज 55 साल बाद भी वह उन दिलों में और गहरे बैठते जा रहे हैं।

पूजनीय बन गए , वंदनीय बन गए , सबके प्रातः स्मरणीय बन गए। चैनल महालक्ष्मी ने इस अवसर पर कुछ वीडियो के रूप में एपिसोड उनको समर्पित किए, जिनमें से कुछ आपको यहां लिंक दिए जा रहे हैं।

सभी के वंदनीय आचार्य श्री संत शिरोमणि आचार्य श्री #विद्यासागर जी महामुनिराज चैनल महालक्ष्मी द्वारा कुछ समर्पित एपिसोड , जो उनके चारित्र, चर्या को दर्शाते हैं

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एक बार इनमें से आप भी किसी पर क्लिक करके देखिए और आचार्य श्री के जीवन में, उनके आचरण में, उनके चरणों में , उनके ज्ञान के सागर में , एक डुबकी लगा कर देखिए, बाहर से अंदर की यात्रा कीजिए और यही गुरुवर के चरणों में हमारी हार्दिक विनयांजलि होगी।

चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी परिवार गुरुवर आचार्य श्री के 55वें दीक्षा दिवस पर, आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देता है और भावना भाता है कि उनके प्रति हमारी यह अटूट श्रद्धा का जो बेजोड़ सिलसिला शुरू हुआ है , वह यूं ही बड़ता रहे । वे ऊपर बढ़ते जाएं , चढ़ते जाएं और हम उनके पीछे-पीछे चलते जाएं ।

सादर नमन , सादर वंदन , चरणों में बारंबार नमोस्तु, गुरुवर आप शतायु को पूरी स्वस्थता के साथ पूरा कर बढ़ते जाएं और हमें यूं ही ज्ञान की गंगा में डुबकी लगाने का अवसर देते रहें।