आचार्य श्री #विद्यासागर जी की सलाह को अगर #तीर्थक्षेत्र_कमेटी ने मान लिया होता तो आज #गिरनार की ऐसी हालत ना होती और क्या अब तैयारी हो रही आत्मसमर्पण की

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तिलवारा घाट दयोदय तीर्थ पर एक बार संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के दर्शन कर कैलाश मडवैया जी ने गिरनार संबंधित समस्या का निदान करने हेतु जब अनुरोध किया, तब आचार्य जी ने कहा था कि जब तक जैन परिवार वहां नहीं बसते और नियमित श्री चरणों के प्रक्षाल और पूजन की व्यवस्था नहीं होती, तब तक ऐसा कैसे होगा, क्योंकि बाहरी दर्शनार्थियों के आसरे तीर्थ की रक्षा नहीं हो सकती ।

उन्होंने स्पष्ट कहा था कि यह सही है कि सदियों से गिरनार पर्वत पर भगवान नेमिनाथ के कल्याणको की मान्यता है और आधिपत्य है। साथ ही इसका जवाब भी पूछा कि तीर्थक्षेत्र कमेटी नित्य पूजन व्यवस्था क्यों नहीं करती, जिससे तीर्थ पर आधिपत्य बरकरार रहे और किसी अन्य की हिम्मत ही नहीं पड़े कि वो अन्यथा स्थिति निर्मित कर सके।

आचार्य श्री के मन में इसके प्रति गहरी वेदना शुरू से रही है और अफसोस यह है कि ईसकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार तीर्थक्षेत्र कमिटी कभी भी दूसरी, तीसरी ,चौथी या पांचवी टोंक पर सुरक्षा की व्यवस्था या यात्रियों के ठहरने रुकने की कोई व्यवस्था ही नहीं कराई और यही कारण है कि आज सूत्र कहते हैं कि कि 27 अगस्त को अखिल भारतीय दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी ने रात्रि 8:00 बजे पालीताना के निर्णय को देखते हुए एक मीटिंग बुलाई थी जिसमें कुछ पदाधिकारियों ने जो निर्णय लिया वह चौंकाने वाला है निर्मल कुमार पटौदी इंदौर ने जानकारी दी है कि

गिनती के पदाधिकारियों ने यह पक्की धारणा बना ली है कि भगवान नेमिनाथ जी के गिरनार पर्वत की पाँचवीं टोंक को किसी भी प्रकार से समाज के अधिकार में लाना संभव नहीं है। इसी मानसिकता की उपज से समाज को भ्रमित करने के भ्रमजाल की बुनियाद भी रख दी गयी है।

क्या गुजरात सरकार से तीन हज़ार वर्ग फ़ीट भूमि प्राप्त करके समझौता करने की तैयारी की जा रही है। पाँचवीं टोंक के नज़दीक स्थित इसकी आधी भूमि श्वेतांबर समाज के लिए और आधी दिगंबर समाज के लिये मांगी जा रही है।

शुक्रवार २७ अगस्त २०२१ रात्रि में तीर्थ क्षेत्र कमेटी के एक पंथ के पदाधिकारियों की झूम संगोष्ठी में इस प्रस्ताव पर सर्वानुमति हो गयी। यह नहीं सोचा गया की जिन्होंने पांचवीं टोंक पर क़ब्ज़ा कर के उसके अंदर भगवान नेमिनाथ जी से संबंधित लगभग सभी प्राचीन पुरातत्व संरक्षित दिगंबर समाज की पूजनीय श्रद्धा स्थली का आमूलचूल परिवर्तन कर दिया है, वे इस नयी भूमि पर अपनी कुदृष्टि डालने से नहीं चूकेंगे ?
शुक्रवार २७ अगस्त, २०२१ को निम्नानुसार महानुभाव सम्मिलित रहे:
१. शिखरचंद जी पहाड़िया, अध्यक्ष, मुंबई
२. वसंतभाई जी दोशी, उपाध्यक्ष, मुंबई
३. संतोष जी पेंढारी, महामंत्री
४. विनोद जी बाकलीवाल,
५. पारसमल जी बज, अहमदाबाद, अध्यक्ष, गुजरात अंचल
६. महिपाल जी सालगिया, प्रतापगढ़ (राजस्थान) मंत्री,बण्डीला कारख़ाना
७. सुधीर जी जैन, पूर्व अध्यक्ष, कटनी
८. चाँदीवाल जी, जस्टिस
९. अभिनव जी जैन, वकील सर्वोच्च न्यायालय
१०. विजयकुमार जी जैन, पूर्व अध्यक्ष गुजरात अंचल।
इसके अतिरिक्त दो अन्य व्यक्ति

यह भी सर्वानुमति बना ली गयी कि पहली टोंक पर स्थित बण्डीलाल मंदिर जी को भव्यतम रूप प्रदान कर दिया जायगा।
यह विचारणीय है कि समाज की अन्य राष्ट्रीय संस्थाओं से और समाज के संतगणों तथा लाखों श्रद्धालुओं के बीच जाकर उनसे भी स्वीकृति ली जाना भी चाहिए या नहीं ? गिनती भर एक पक्षीय पदाधिकारियों ने इतना महत्वपूर्ण निर्णय मनमाने ढंग से ले लिया !

क्या बैठक में मौजूद पदाधिकारियों ने निर्णय लेते समय यह दृष्टिकोण स्वीकार कर लिया कि पांचवीं टोंक पर अधिकार पाना असंभव सा है।

आचार्य श्री जी के साक्षात्कार के प्रकाश में और आशीर्वाद से गिरनार जी सिद्ध क्षेत्र की तलहटी जूनागढ़ और गिरनार के बीच हस्तकरघा केन्द्र और गिर गाय शांति धारा दुग्ध केन्द्र खुल जाता है, तो समाज के सौ दो सौ लोगों को सहज ही बसाया जा सकता है।

चैनल महालक्ष्मी व् सांध्य महालक्ष्मी की राय में यह निर्णय उचित नहीं है और ऐसे मामलों में साधारण सभा में निर्णय लिया जाए, यही उचित होगा।

इसके अलावा भी हमें वर्तमान परिस्थितियों में संघर्ष करते रहना चाहिए वह दूर भागने की नीति उचित नहीं है। अन्यथा इसका प्रभाव अन्य तीर्थ क्षेत्रों के प्रकरण पर भी पड़ेगा।

गिरनार जी सिद्ध क्षेत्र पर कोई भी निर्माण भारतीय सर्वेक्षण विभाग पुरातत्व विभाग की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है। फिर निर्माण कर्ताओं ने क्या ऐसी अनुमति केंद्र सरकार व राज्य सरकार से प्राप्त की गई है? यदि जानकारी है तो अवगत कराएं।

द्वितीय बिंदु है कि भारत सरकार ने The Places of Worship (Special Provisions) Act, 1991 बनाया हुआ है। इसके प्रावधानों के अनुसार 15.8.1947 को जिस पूजा स्थल की जो स्थिति थी, वही स्थिति यथावत रहेगी। इसमें यदि कोई परिवर्तन हुआ है तो उसे पुनः उसी स्थिति में परिवर्तित करने हेतु कार्यवाही अपेक्षित है।
हमें इस प्रकरण में पालीताणा क्षेत्र के बारे में गुजरात उच्च न्यायालय के निर्णय से सबक लेना चाहिए।

अतः आपसे अनुरोध है कि आप श्री गिरनार जी सिद्ध क्षेत्र के प्रकरण पर साधारण सभा आहूत कर ही कोई निर्णय लें, अन्यथा सारी समाज में पूरे देश में गलत संदेश जाएगा।

अखिल भारतीय दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष महोदय से संपर्क करने के प्रयास किये गए, पर नहीं हो सका