घर पर #दीपावली पूजन , सिर्फ परम्परा निभाते हैं, या कभी ऐसे करते हैं- जानिये निर्यापक श्रमण श्री #सुधा_सागर जी से

0
1162

22 अक्टूबर 2022/ कार्तिक कृष्णा दवादिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
॰ पूजन घर पर, दुकान पर पुष्प
॰ एक दीपक प्रज्ज्वलित रहे पूरी रात, साथ करें जागरण

इस बार कार्तिक अमावस 24 नहीं, 25 अक्टूबर को है, अब सुबह मंदिर में तो आप तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी का मोक्षकल्याणक का निर्वाण लाडू चढ़ायेंगे और फिर घर पर पूजा की बारी, कैसे करें? यह एक बहुत बड़ा अनुतरित सवाल है, और हम अज्ञानता में पूजा का रूप ही बदल देते हैं, सही से गलत विधि, स्वरूप में सब करने लगते हैं। आज सांध्य महालक्ष्मी आप सभी को निर्यापक श्रमण श्री सुधा सागर जी महाराज के शब्दों में पहुंचा रहें यह जानकारी-

मुनि श्री बताते हैं कि शाम को गौतम गणधर स्वामी के केवलज्ञान कल्याणक रूप में दीपावली पूजन घर-घर में करते हैं। रात्रि होने के पहले यानि अंधेरा न हो पाये उससे पहल-पहले घर का पूजन हो जाना चाहिए। किसी भी हालत में दीवाली पूजन अंधेरे में कभी नहीं करना चाहिए।


घर में करें तस्वीरों के साथ जिनवाणी रखकर दीपावली पूजन

घर में पूजा के स्थान पर या ईशान कोण में उचित स्थान पर बैठ कर पूजा करें
घर में सब लोगों को उसी तरह पूजा करनी चाहिये, जैसे आप मंदिर में करते हैं, शुद्ध वस्त्र पहनकर, तीर्थंकर श्री वर्धमान स्वामी और गौतम गणधर स्वामी की तस्वीर रखें। हां, केवल ये दो तस्वीर ही रखिये और साथ में कोई शास्त्र या जिनवाणी चौकी पर विराजमान करें। दोनों तस्वीर प्रतीक के रूप में ही रखें, उन तस्वीरों की पूजा का मतलब नहीं। अष्ट द्रव्य से पूजा करें, अच्छी तरह दीपावली पूजन के बाद विसर्जन करें। दीपकों के पास एक शोला दीपक रखें, उस पर सोलह भावना पेंट से लिख कर रखो, 64 ऋद्धियों के रूप में 64 बाती रखो, सोलह भावना का दीपक अन्य के साथ और 64 ऋद्धियों की बाती के साथ पूजादि करो।

घर में करें पूजन और दुकान पर दीपक रखें, बही खाते-तिजोरी…..
मुनि श्री सुधा सागर जी ने बताया कि पूजा घर पर ही अच्छी तरह, दुकान पर करने की मनाही नहीं है, पर अच्छा है कि घर पर कर लें। पूजा के बाद कुछ मांगलिक दीपक ले जाकर अपनी दुकान या फैक्ट्री प्रतिष्ठान में रख सकते हैं। पूजा से कुछ पुष्प-अक्षत बचाकर के अपने प्रतिष्ठानों में डाल दीजिए।
पूज्यपाद जिनसेन ने महापुराण के अंदर लिखा है कि जब चक्ररत्न की प्राप्ति हुई तब उन पर पुष्प क्षेपण करके उसका मांगलिक किया। इसीलिये दुकान प्रतिष्ठान में केवल पुष्प-अक्षत के साथ वहां दीपक ले जाइये। रिश्तेदारों के यहां मांगलिक करने के लिए उनके द्वार पर एक दीपक रख दीजिए। संभव हो तो।

बही खाता व तिजोरी आदि कोई पूजन नहीं। मांगलिक करना है तो तिजोरी और बही खाते पर पुष्प डाल दीजिए। हां, बही खाते पर स्वस्तिक, श्री आदि संकेत लिख लीजिये। श्री लक्ष्मीजी सदा सहायता करें, ये नहीं लिखना। सिर्फ ‘श्री’ लिखें, यही मांगलिक है।

सभी घर वाले ना बैठे, तो मुखिया या उसके प्रतिनिधि के रुप में शुद्ध वस्त्र में बैठे
एक दीपक जले पूरी रात और करें जागरण
मुनि श्री ने बताया कि उस स्थान पर खाना-पीना नहीं करें व खाने का स्थान अलग रखें। बीच का दीपक, प्रधान करें, वो जलता रहे। इस तरह रखें कि कोई जीव हिंसा ना हो। जैसे जहां प्रभु का निर्वाण होता है, वहां एक दीप प्रज्ज्वलित करते हैं। इसी तरह दर्शन विशुद्धि वाला दीपक जाली लगाकर पूरी रात प्रज्ज्वलित रखें। पर, हां पूरी रात, फिर परिवार वाले जागरण करें या माला करें णमोकार की या भक्तामर करें, अगर सभी नहीं, तो एक व्यक्ति जरूर जागरण करें, ध्यान करें, पर हां पूजा नहीं करनी चाहिए।