दीपावली को अनशन निर्वाण लाडू कब? क्या सरकार एक दिगंबर संत के बलिदान के बाद ही अल्पसंख्यक समाज की सुनेगी?

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10 नवंबर 2023 / कार्तिक कृष्ण दवादशी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /
ऋषभ विहार, दिल्ली में विराजमान वर्तमान के सबसे बड़े दिगंबर संघ के संघनायक आचार्य श्री सुनील सागरजी मुनिराज ने सिद्धक्षेत्र गिरनारजी की पांचवीं टोंक पर जैनों के साथ हो रहे अन्याय और दर्शन में धमकी – हमलों के चलते बड़े कठोर मन से कहने को जैसे मजबूर होना पड़ा कि भारत के कहे जाने वाले सबसे बड़े सामाजिक पर्व दीपावली, 12 नवंबर को, जब पूरे देश में बहुसंख्यक मिठाईयां बाटेंगे, खायेंगे, खिलायेंगे, तब जैन संत अनशन करेंगे, यानि चारों प्रकार के आहार का त्याग, जल भी नहीं, पूर्ण उपवास 48 घंटे का। उसी कड़ी में हजारों श्रावक भी अनशन या प्रोषध या आयम्बिल या एकासन करेंगे। यह सांकेतिक अनशन, गिरनार तीर्थ पर अन्याय के विरोध में सांकेतिक अनशन जरूर होगा, क्योंकि वायदा तो वर्तमान में प्रधानमंत्री व गृहमंत्री के रूप में भारत के दो सबसे महत्वपूर्ण पदों पर बैठे श्री नरेन्द्र मोदी जी और श्री अमित शाह जी ने 2006 में दिल्ली के ही लाल मंदिर में पहले भी किया।

वैसे बता दें गत वर्ष शिखरजी आंदोलन ने इसी संघ के दो संतों ने अपना बलिदान दिया था, जिसे आज मानो जैन समाज ही भूल चुका है। इस बार भी संघस्थ मुनि श्री संतृप्त सागरजी कठोर अनशन कर रहे हैं, आषाढ़ शुक्ल सप्तमी, तीर्थंकर श्री नेमिनाथ स्वामी जी के मोक्ष कल्याणक से, जब इस वर्ष भी निर्वाण लाडू नहीं चढ़ाने दिया। तब से वे कठोर अनशन पर हैं और उनका स्वास्थ्य गिरता जा रहा है। क्या सरकार एक दिगंबर संत के बलिदान के बाद ही अल्पसंख्यक समाज की सुनेगी?

निर्वाण लाडू कब?
पं. जैनी जियालाल चौधरी पंचांग की तिथि गणनानुसार इस बार कार्तिक अमावस रविवार 12 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से सोमवार 13 नवंबर को मध्याह्न 2 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। और जैन पंचांग के अनुसार सूर्योदय से 6 घड़Þी रहने वाला समय ही उस दिन की तिथि माना जाता है। इसलिए इस बार 2019 की तरह निर्वाण लाडू, वैदिक पर्व दीपावली से अगले दिन 13 नवम्बर को चढ़ेगा। और उसी दिन सायंकाल में गौतम गणधर स्वामी का केवलज्ञान पर्व मनाया जाएगा।

कार्तिक अमावस के बाद क्यों गणधर पूजन?
कुछ लोग यह तर्क दे रहे हैं जब सोमवार को कार्तिक अमावस नहीं होगी, तो क्यों शाम को घरों में पूजा होगी, गौतम गणधर के केवलज्ञान पर्व को मनाया जाएगा। उसे 12 को क्यों नहीं मनाते?
सान्ध्य महालक्ष्मी स्पष्ट कर देना चाहती है कि तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी के मोक्ष जाने के बाद ही गौतम गणधर स्वामी को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी, क्योंकि तब तक गणधर स्वामी में अपने गुरु महावीर स्वामी के प्रति सूक्ष्म मोह और उनके मोक्ष जाने के बाद उन्हें केवलज्ञान की प्राप्ति उसी सायंकाल में हुई, इसीलिये उनका पूजन 13 नवंबर को सायंकाल में किया जाएगा।

निर्वाण लाडू का श्रेष्ठ समय

13 नवम्बर को सुबह जिनालयों में, सोमवती अमावस, विशाखा नक्षत्र, सौभाग्य योग (वार व नक्षत्रानुसार) मित्र योग सूर्योदय से प्रात: 8 बजकर 5 मिनट तक अमृत का चौघड़िया सभी योगों में अत्यंत श्रेष्ठ और शुभ है। अत: हम सभी सही समय पर ही अपने जिनालयों में पूजन करें व निर्वाणलाडू अर्पित कर महान पुण्य का अर्जन करें। उचित समय पर कार्य करने से समाज एवं देश में सुख समृद्धि, शान्ति, मान-सम्मान, लाभोन्नति की प्राप्ति होगी। श्रेष्ठ मुहूर्त में किया गया कार्य, सम्पूर्ण विश्व के लिये विशेष लाभकारी और फलदायी रहेगा।

सायंकालीन दिवाली पूजन
सोमवार को प्रदोष वेला सायं 5.25 से 8.05 तक, वृष स्थिर लग्न 5.31 से 7.23 तक, चर का चौघड़िया 5.25 से 7.05 तक रहेगा। सभी को इसी के बीच सुविधानुसार पूजन करना चाहिए।
पर अब प्रश्न है कि तीनों समय में से श्रेष्ठ कौन-सा समय माने? तो तीनों समय के योग से 5.25 से 7.05 तक का समय, तीनों समय पर मिलने से, यह समय श्रेष्ठ फलदायी होगा। इस बीच ही पूजन करना चाहिये, जिनालयों में दीप व आरती करनी चाहिये। संतों पर श्रद्धा रखकर, आपके अटूट विश्वास से बंद मार्ग खुलकर घर में हर्षोल्लास का वातावरण बनेगा। (इस बारे में आप 08 नवम्बर को जारी यू-ट्यूब चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नं. 2223 को देखकर पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।)

हां, ध्यान रहे सायंकालीन पूजन के समय अमावस नहीं है, फिर भी यही समय वर्षभर लाभोन्नति, समृद्धि, सुख शांति के लिये पूजन हेतु श्रेष्ठ रूप से उपयुक्त है।