#शुभ_दीपावली ‘अशुभ – अमांगलिक’ क्यों हो जाती है? जानते हैं निर्यापक श्रमण श्री सुधा सागरजी से- क्या पूजें? कैसे पूजें?

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19 अक्टूबर 2022/ कार्तिक कृष्णा नवमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
दीपावली बरस दर बरस मनाते आ रहे हैं, दीये जला रहे हैं, पटाखें छोड़ रहे हैं, लड़ियां लगा रहे हैं, कुछ दरवाजे खोल के बैठते हैं, लक्ष्मी का रात भर इंतजार करते हैं। वैसे मोक्ष लक्ष्मी ऐसे नहीं आती, उसे चारित्र से स्वयं बढ़कर ग्रहण करना होता है। पर इस संसार में भ्रमण कर रहे हममें से 99.9 फीसदी चंचला लक्ष्मी ही चाहते हैं, और शायद इसीलिये जैन भाई लक्ष्मी-गणेश तक को पूजते हैं। क्या पूजें? कैसे पूजें? यह अलग से लेख दिया है, पर यहां सान्ध्य महालक्ष्मी आपको बता रही है कि शुभ दीपावली जो मंगल का प्रतीक है, वो कैसे हमारे लिये अशुभ और अमांगलिक हो जाती है। सीधा जानते हैं निर्यापक श्रमण मुनि श्री सुधा सागरजी से –

दिवाली पर पटाखे नहीं होने चाहिए, यही है बहुत अशुभ और अमंगल। उन्होंने कहा कि ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार किसी मांगलिक दिन बारूद का दर्शन करना भी अमांगलिक है। बारूद यदि दिख भी जाये, उसकी गंध आ जाये, वो तक अमांगलिक है। बारूद सामने आ जाए तो अशुभ है। सभी विस्फोटक, बारूद सामग्री अमांगलिक होती है, चाहे वो फुलझड़ी हो, पटाखे के विभिन्न रूप – अनार, राकेट, आदि कुछ भी हो।

यही ध्यान रखना, इससे साल भर हम सबका मंगल नहीं, अमंगल हो रहा है। कुछ कहते हैं, बस फुलझड़ी जला लेते हैं, पर ध्यान रहे वो भी अमंगल है। आप, अपने साथ अपने परिवार के लिये भी अमंगल कर रहे हैं। पटाखे कदापि नहीं फोड़ने चाहिये।

बजाना ही है, तो पटाखे नहीं, नगाड़े बजाओ, बाजे बजवाओ, ताशे बजवाओ, ढोल बजवाओ, ताली बजाओ, घंटे बजाओ, थाली बजाओ, खुशियां मनाओ। पटाखे जहां आपके लिये अमांगलिक हैं, वहीं आसपास किसी बीमार-वृद्ध के लिये जानलेवा भी हैं, उनकी निकलती कराहें, बद्दुआएं आपका अमंगल ही करती हैं।

इसलिये निर्यापक श्रमण मुनि श्री सुधा सागरजी कहते हैं कि शुभ दीपावली को अशुभ-अमांगलिक न बनने के लिये पटाखों का उपयोग कभी नहीं करना चाहिए। समझे हम और आप, अब ढोल-नगाड़े, घंटे-बाजे बजाएं, पर पटाखें, फुलझड़ी, अनार – राकेट – सभी को हम करें ‘ना’।

सूर्यग्रहण 25 अक्टूबर को तो दिवाली पूजन कैसे करेंगे उसी दिन ?
(शरद जैन)