शिरपुर जैन अंतरिक्ष पार्श्वनाथ प्रतिमा का अभिषेक, पूजन, पहले दिगंबर परंपरा से ,वही श्वेतांबर आचार्य श्री का बड़ा खुलासा कि प्राचीन प्रतिमा में नहीं होता था कदौरा आदि, फिर क्यों इस प्रतिमा में ?

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20 जून से शुरु होगा दिगंबर परंपरा से अभिषेक 6:00 बजे से 9:00 बजे तक और श्वेतांबर परंपरा से अभिषेक शुरू होगा 21 जून से ।

श्वेतांबर आचार्य श्री द्वारा खुलासा कि प्राचीन प्रतिमांओं में चाहे वह श्वेतांबर संप्रदाय की ही हो, उनमें भी कदौरा आदि नहीं होता था, यानी दिगंबर स्वरूप मे ही थी।

श्वेतांबर मत का दावा कि रावण के जीजा ने बना दी थी यह प्रतिमा। यह कैसे संभव है कि 20 वे तीर्थंकर के काल में 23वे तीर्थंकर की उपसर्ग युक्त फण वाली प्रतिमा बन जाए!!

11 जून 2022/ आषाढ़ कृष्ण नवमी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ EXCLUSIVE/शरद जैन
पूरे जैन समाज के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी कि घड़ी आ ही गई। जी हां, 42 साल बाद , सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश से शिरपुर अंतरिक्ष पारसनाथ जी के कपाट खुले, ताले खुले और फिर थोड़ी सी विवाद वाली बात के बावजूद, वह प्रक्रिया पूरी हो गई। जिसके अनुसार , अब तीन चरण के लेप के बाद, अंतरिक्ष पारसनाथ प्रतिमा का पूजन, अभिषेक आदि किया जा सकेगा। इसकी शुरुआत सबसे पहले 20 जून को दिगंबर परंपरा के अनुसार होगी और फिर 21 जून से श्वेतांबर परंपरा से भी शुरुआत होगी।

ताला खुलने के बाद मूल प्रतिमा

पहले लेप के बाद,

दुसरे लेप के बाद,

तीसरे लेप के बाद,

चैनल महालक्ष्मी, सोमवार, 12 जून के रात्रि 8:00 बजे के विशेष एपिसोड में आपको इसकी पूरी जानकारी देगा कि किस समय यह अलग-अलग परंपरा से पूजा अभिषेक किया जा सकेगा तथा मूल प्रतिमा किस रूप में थी , और 3 लेप के चरण में किस तरीके से , उसका रूप निखरता गया और किस रूप में आज बदलकर आई है ।

इसके साथ एक वीडियो आजकल जारी किया जा रहा है सोशल मीडिया पर, कि वहां पर रैपिड एक्शन फोर्स, अर्ध सैनिक बल और पुलिस की लगातार गश्त चल रही है , जिससे अधिकांश जैन भक्त सहमे हुए हैं कि वे जाएं या नहीं जाएं। वीडियो की क्या सच्चाई है इसका भी खुलासा आज चैनल महालक्ष्मी अपने एपिसोड में करेगा

तथा क्या इस प्राचीन प्रतिमा पर शुरू से ही कंदोरा आदि बने हुए थे । दिगंबर परम भाई तो यह कहते हैं कि ऐसा नहीं था । जबकि श्वेतांबर भाई कहते हैं ऐसा शुरू से था । परंतु एक बहुत प्रख्यात ज्ञानवान श्वेतांबर आचार्य श्री ने इस बात की घोषणा कर दी कि कुछ समय पहले तक सभी तरह की प्रतिमाएं चाहे , वह दिगंबर हो या श्वेतांबर , मूल रूप से दिगंबर स्वरूप में ही थी। यानी कंदोरा आदि नहीं थे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस प्रतिमा पर भी, क्योंकि यह प्राचीन है, इस पर भी कंदोरा आदि नहीं थे। तो इस बात का सार्वजनिक खुलासा करना चाहिए कि मूल प्रतिमा दिगंबर स्वरूप ही थी जिसमें कंदोरा आदि नहीं बने हुए थे । क्योंकि आचार्य श्री की बात प्रमाणिक कही गई है और वह असत्य वचन नहीं बोलते।

साथ ही श्वेतांबर परंपरा से इस प्रतिमा को कहा गया है कि इसे 20वे तीर्थंकर के काल में , यानी रावण के जीजा जी ने बनवाया था। यह बहुत आश्चर्यजनक प्रतीत होता है कि ऐसी 23वें तीर्थंकर की प्रतिमा , उपसर्ग रूप, यानी सर्व फलों के साथ 20 वे तीर्थंकर के काल में कैसे बना दी गई । ऐसा कहीं भी उल्लेख, किसी भी आगम शास्त्र या प्रमाण नहीं मिलता है। बहुत ही हैरानगी वाला यह तथ्य, क्यों सामने नहीं लाया जाता कि यह कहना सही है या बिल्कुल निराधार दावा है।

ऐसी कई रोचक, प्रमाणिक जानकारी के साथ चैनल महालक्ष्मी का आज, सोमवार , 12 जून,रात्रि 8:00 बजे का विशेष एपिसोड नंबर 1921, जरूर देखिएगा और

याद रखिए अब आप अंतरिक्ष पार्श्वनाथ जी के दर्शन भी कर सकते हैं और साथ में अभिषेक पूजन भी और हां , शेष 15 वेदियों के आप 24 घंटे में , कभी भी अभिषेक पूजन, दिगंबर परंपरा से कर सकते हैं और शायद विश्व में यह एकमात्र अनोखा तीर्थ है, जहां 24 घंटे, आप विभिन्न वेदियों के अभिषेक, पूजन दिगंबर परंपरा से कर सकते हैं। भूलिएगा मत, आना जरूर । यह सौभाग्य, सभी जैन बंधुओं को बुला रहा है।