रविवार को जिनका गर्भ कल्याणक आ रहा है , उन तीर्थंकर श्री नेमीनाथ जी के तीन कल्याणकों की धरा को आज जैन समाज बचा नहीं पा रहा है

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28 अक्टूबर 2022/ कार्तिक शुक्ल चतुर्थी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
21 वे तीर्थंकर श्री नमिनाथ जी के 1000 कम 5 लाख वर्ष बाद , अनुत्तर स्वर्ग में अहमेंद्र की माला जिस दिन मुरझाने लगी , उसी समय सोधर्म इंद्र ने कुबेर को आज्ञा दे दी कि पृथ्वी लोक में जाओ और शौरीपुर के महाराजा समुंद्र विजय के राजमहल पर दिन के तीनों पर पहर, तीन करोड़ रत्नों की हर पहर में बरसात शुरू कर दो।

यह संकेत था कि अब इस धरा पर 22वें तीर्थंकर 6 माह बाद, उनकी महारानी शिवा देवी के गर्भ में आने वाले हैं और फिर आया कार्तिक शुक्ल छठ का वह दिन , जो इस वर्ष 30 अक्टूबर को है, जी हां उसी दिन, हमारे 22वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ भगवान ने महारानी शिवा देवी के गर्भ में प्रवेश किया और वह दिन गर्भ कल्याणक के रूप में , आज हम सब मनाते आ रहे हैं। श्री नेमिनाथ भगवान की आयु 1000 वर्ष थी और कद 10 धनुष ऊंचा । आज जैन समाज बहुत दुविधा की स्थिति में है क्योंकि उन्हीं की कर्म स्थली कहे जाने वाले, गिरनार पर दूसरे संप्रदाय ने कब्जा कर लिया है ।

श्री नेमिनाथ भगवान की दीक्षा, केवल ज्ञान की प्राप्ति भी इसी गिरनार पर्वत पर हुई थी , जिसे उर्जजयंत पर्वत और रेवतक पर्वत भी कहा जाता है । आज उस पर 1947 की स्थिति को, जस की तस ना रखते हुए, उसे सरकार व प्रशासन की आड़ में, यहां तक कि अदालत के आदेशों के बावजूद, उसको दत्तात्रेय टोंक में लगातार बदलते हुए वहां जैसे तीर्थंकर नेमिनाथ जी के सारे प्रमाणों को नष्ट किए जाने की एक होड़ लगा दी गई है जैसे कि जब तक अदालत दोबारा निर्णय दे, तब तक यहां सब कुछ, सभी साक्ष्य को, मिटा दिया जाए, बदल दिया जाए।

आज जैन समाज ने फिर कुछ दिन पहले अदालत का दरवाजा खटखटाया है कि इस क्षेत्र पर 1947 की तिथि को बहाल किया जाए। जिस रूप में थी, उसी में पहचाना जाए और जैन बंधुओं को वहां पर पूजा, दर्शन आदि में कोई व्यवधान उत्पन्न करने वाले अराजक तत्व को वहां से हटाया जाए। चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी के साथ आइए, बोलिए 22वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ भगवान के गर्भ कल्याणक की जय , जय, जय।