6 सालों के अंतराल के बाद, क्या इस बार जैन समाज चढ़ा पाएंगे तीर्थंकर नेमिनाथ जी की टोंक पर निर्वाण लाडू? #girnar

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15 जून 2022/ आषाढ़ कृष्ण दवादिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ EXCLUSIVE/शरद जैन
यह तो सभी जानते हैं कि हमारी केंद्र और राज्य की सरकारें, जब किसी धर्म, जाति या संप्रदाय के त्योहार आते हैं तो उसके लिए पूरी शक्ति से जुट जाती है, चाहे वह देश के बाहर ही क्यों ना हो। चाहे मक्का मदीना के लिए मुसलमान भाइयों को ले जाने की तैयारी हो , या फिर करतार सिंह गुरुद्वारे में, आतंकी फसल बोने वाले पाकिस्तान में सिख भाइयों को जाना हो , या फिर बार-बार हमारी जमीन पर कब्जा करने वाले चीन में हिंदू भाइयों को अमरनाथ यात्रा के लिए जाना हो। यह तो थी बाहर की कुछ बातें , जब देश में ही किसी का त्यौहार आता है , तो पूरी तरह से प्रशासन के साथ सत्ता जुड़ जाती है , चाहे नवरात्र और ईद एक साथ आ जाए, चाहे दो विभिन्न धर्मों के त्योहार एक साथ आ जाए। दोनों के लिए कैसे व्यवस्था बनानी है, सरकार ने प्रशासन के साथ मिलकर बहुत काम करती हैं ।

पर एक अल्पसंख्यक समाज और है, जिसे जैन धर्म के नाम से जानते हैं, जब इसका एक पर्व आता है आषाढ़ शुक्ल सप्तमी को, यानि जो इस बार रविवार 25 जून को आ रहा है । आज से 6 साल पहले , 2018 में जब यह पर्व आया, तब जैन बंधुओं को निर्वाण लाडू चढ़ाने से पहली बार रोक दिया गया। इतिहास में इससे पहले, ऐसा कभी नहीं हुआ था । कहा गया कि उनके ऊपर चढ़ने से, लाडू चढ़ाने से, तनाव उत्पन्न हो सकता है दो समुदायों के बीच में । शायद इतिहास में ऐसा किसी और धर्म के लिए सरकारें नहीं करती हो, पर जैन समाज, जो केवल उस दिन हजारों की संख्या में जाता है, उसे ऐसे रोका गया कि अगले 5 साल तक , उसे दोबारा ऐसा मौका नहीं मिला ।

तब बडी लाल कारखाना और तीर्थ क्षेत्र कमेटी ने जोर लगाया था , जो शायद अब 2023 में, तो किसी जैन कमेटी ने जोर भी नहीं लगाया।

2018 में दर्शन के लिए 10,000 से ज्यादा लोग गए थे जैन समाज से । वह संख्या 2021 में घटकर 500 रह गई। किसी समाज की कमर तोड़नी हो, तो इस तरह की पाबंदियां बहुत कारगर हो जाती है । शायद यही प्रशासन चाहता है और यही वहां की सरकारें कि किसी तरह इनका वजूद मानो वहां से खत्म कर दिया जाए। क्या-क्या हुआ इन 6 सालों में और क्या क्या हुआ उस टोंक पर पिछले 100 सालों में, ऐसा चित्रों के साथ, पूरा विवरण चैनल महालक्ष्मी रविवार 18 जून के रात्रि 8:00 के एपिसोड नंबर 1933 में आपके सामने लेकर आएगा।

तीर्थ की 1008 वंदना करने वाले संत ने साडे 4 साल के परिवर्तनों पर क्या कहा ,?
जब यहां पर 24 अक्टूबर, 2020 को प्रधानमंत्री महोदय ने रोपवे का उद्घाटन किया, तब क्या कहा?
कितनी टोको का जैन समाज अब तक जीर्णोधार कर चुका है और किस तरह का?
क्या उनकी किसी टोंक पर प्रशासन से सहयोग मिला ?
क्या कोई टॉक बदली भी गई?
तीर्थंकर नेमिनाथ जी की टोंक से , चरण को क्या बदला गया?

क्या स्वरूप रहा, जहां पर मोबाइल से फोटो खींचने की इजाजत नहीं? वहां पर उससे कैसा व्यवहार किया जाता है? क्या इस बार 25 जून को, आषाढ़ शुक्ल सप्तमी को जैन समाज अपने दूसरे बड़े तीर्थ , श्री गिरनार जी में पांचवी टोंक पर निर्वाण लाडू चढ़ा पाएगा?

क्या हमारी किसी कमेटी ने प्रशासन से इस बारे में कोई लिखित अपील की और क्या जवाब मिला? 10 हजार से 15। हजार लोग, जिस दिन यानी सबसे बड़ी संख्या में वहां जाते हैं। अब हजार से भी कम हो गए, क्या क्या कारण है?

इन सब के पीछे क्या काम हो रहा है? इन सब की जानकारी रविवार 18 जून के रात्रि 8:00 बजे के विशेष एपिसोड में जरूर देखिए यू ट्यूब चैनल महालक्ष्मी पर।