विश्व में व्यक्ति को प्राणो से प्रिय कोई वस्तु है, उसका नाम ‘धन’ है – आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज

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आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा -आगम कहता है:- ‘आदमी का ग्यारहवा प्राण धन है।

यदि अपनी किसी के धन का हरण किया है, किसी के पैसे का हरण किया है, किसी की वस्तु-भूमि का हरण किया है, मित्र!! अपने उसके प्राणो का हरण किया है।।

अहो धन!! तू कितना महान हो गया?? कि जिन्होंने दूध के कटोरे पिलाए थे, उस माँ को भी छोड़ने की इक्छा हो जाती है, बेटे को धन कमाने के पीछे।

गुरु के यश पर जीना, ये मित्र!! उज्जवल चर्या वाले का कार्य नही है।।

सम्पत्ति आना चाहिए घर में, धन नही आना चाहिए।

जो समीचीन वृत्ति से अर्जित की जाती है, उसका नाम सम्पत्ति होता है। जो दूसरे का प्राण हरण करके कमाया जाता है, उसका नाम धन होता है।