मंदार गिरी आज क्यों है खतरे में – 12वें तीर्थंकर श्री वासुपूज्य जी का मोक्ष कल्याणक दिवस

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27 सितम्बर 2022/ भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /
जी हां ,भाद्रपद शुक्ल की चतुर्दशी बार-बार तीर्थंकर श्रीवासुपूज्य स्वामी का मोक्ष कल्याणक दिवस, पूरे समाज को आगाज कर रहा है कि उनके तीन कल्याणको की सिद्ध क्षेत्र भूमि, आज खतरे के निशान के ऊपर है। काले बादल मंडरा रहे हैं और सचमुच आने वाला समय, उसे तीर्थ के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है। इस पर चैनल महालक्ष्मी शुक्रवार 28 सितंबर को एपिसोड नंबर 2140 तथा 29 सितंबर को एपिसोड नंबर 2141 में इसकी पूरी जानकारी देगा, कि मोक्ष स्थल के द्वार पर, श्री मंदार काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए 200 करोड़ का प्रोजेक्ट पर्यटन विभाग ने तैयार कर दिया है। इस तरह हमारे द्वार पर वह विशाल मंदिर बन जाएगा कि मोक्ष स्थली के द्वार ही बंद हो जाएंगे । चैनल महालक्ष्मी टीम ने उस क्षेत्र का पूरा दौरा किया और वह पूरी रिपोर्ट इन दो एपिसोड में दी जाएगी

पहले बाल ब्रह्मचारी , केवल एक मात्र तीर्थंकर, जिनके पांचो कल्याणक, एक ही स्थान चम्पापुर में हुए. श्री वासुपूज्य भगवान का मोक्ष कल्याणक दिवस

दसलक्षण पर्व का अंतिम दिन यानी भाद्रपद शुक्ल की चतुर्दशी, जो इस वर्ष 28 सितंबर को है । यह वही दिन है, जब हमारे 12वे तीर्थंकर श्री वासुपूज्य स्वामी जी चंपापुर नगर से 601 मुनियों के साथ मोक्ष पधारे। चंपापुर ही एकमात्र ऐसी धरा है, जहां तीर्थंकर के पांचों कल्याणक हुए ।

पर्युषण के 10वें धर्म के दिन, भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को है, पहले बाल ब्रह्मचारी , केवल एक मात्र तीर्थंकर, जिनके पांचो कल्याणक, एक ही स्थान चम्पापुर में हुए. श्री वासुपूज्य भगवान का मोक्ष कल्याणक दिवस इस वर्ष 28 सितम्बर , भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को, आप 53 ,99 ,999 वर्ष के केवली काल के बाद चम्पापुर की मन्दारगिरी पर्वत से अपरान्ह काल में 601 मुनिराजों के साथ मोक्ष गए, आपका तीर्थ प्रवर्तन काल 30 सागर 54 लाख वर्ष में एक पल्य कम वर्ष का रहा। इस बीच एक पल्य वर्ष का तीर्थ का विच्छेद रहा।

28 सितम्बर 2023, भद्रपद शुक्ला चतुर्दशी को प्रथम बालयती बारहवें तीर्थंकर देवाधिदेव श्री 1008 वासुपूज्य भगवान का मोक्ष कल्याणक महोत्सव

आज ही के दिन भगवान को मन्दारगिरि-चम्पापुर (बिहार) से निर्वाण (मोक्ष) की प्रप्ती हुई थी।

भादों सुदी चौदश तिथी, चंपापुरी से नाथ ने।
संपूर्ण कर्म विनाश कर, शिव वल्लभा के पति बने।।
सौधर्म इन्द्र सुरादिगण, हर्षित हुए वंदन करें।
हम वासुपूज्य जिनेन्द्र की, निर्वाण पूजा को करें।।

ॐ ह्रीं भाद्रपद शुक्ला चतुर्दश्यां श्री वासुपूज्य जिन मोक्षकल्याणकाय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
*मंदारगिरी-चम्पापुर में विराजित 12वें तीर्थंकर श्री 1008 वासुपूज्य जी भगवान के पावन चरणों मे त्रय बार नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु भगवान

बोलिये 12वें तीर्थंकर श्री वासुपूज्य भगवन के मोक्ष कल्याणक की जय, जय, जय