फाल्गुन-चैत्र सबसे पावन क्यों? 20 फरवरी को छठें तीर्थंकर पदमप्रभु जी का मोक्ष कल्याणक

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फाल्गुन माह आ गया है, हिंदी कलेंडर से अंतिम मास और इससे अगला चैत्र मास। ये दोनों बहुत खास हैं, इन 60 दिनों के 23 दिनों में 32 कल्याणक आते हैं। यानि एक चौथाई कल्याणक हैं इन्हीं दो माह में। 24 में से 10 तीर्थंकर इन्हीं दो माह में मोक्ष गये। फाल्गुन माह के 11 दिनों में 15 कल्याणक (3 गर्भ कल्याणक, 2 जन्म कल्याणक, 2 तप कल्याणक, 3 ज्ञान कल्याणक और 5 मोक्ष कल्याणक तथा चैत्र मास के 12 दिनों में 17 कल्याणक (3 गर्भ कल्याणक, 3 जन्म कल्याणक, एक तप कल्याणक, 5 ज्ञान कल्याणक और 5 ही मक्ष कल्याणक) आते हैं। है ना सबसे खास यह द्विमाह की जोड़ी।

तो कल्याणकों की शुरूआत हो रही है इस रविवार 20 फरवरी को यानि फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी को, जब आ रहा है छठें तीर्थंकर पदमप्रभु जी का मोक्ष कल्याणक।

पांचवें तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ जी के मोक्ष जाने के 90 हजार करोड़ सागर बीत जाने के बाद आप उपरिम ग्रैवेयक की प्रीतिकर विमान से आयु पूर्ण कर कौशाम्बी नगरी में महाराजा धरण की महारानी श्रीमती सुसीमा देवी के गर्भ में आये माघ कृष्ण छठ को। जिस तिथि को अंतिम तीर्थंकर मोक्ष गये, उससे एक दिन पहले धान्य त्रयोदशी को आपका जन्मकल्याणक मनाते हैं हम सब।

1500 फुट ऊंचा कद और 30 लाख वर्ष पूर्व की आयु थी आपकी। आपके शरीर का रंग लाल था और आपकी प्रतिमा की पहचान जिस कमल से होती है, उसका रंग भी लाल होता है। जाति स्मरण से जन्म वाली तिथि, कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को आप मनोहर वन निवृति नामक पालकी से पहुंच पंचमुष्टि केशलोंच कर 6 माह कठोर तप करते हैं। आपको देखादेखी एक हजार राजा भी दीक्षा ले लेते हैं, फिर चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को अपराह्न काल में कौशाम्बी नगरी में ही केवलज्ञान की प्राप्ति होती है।

114 किमी विस्तृत समोशरण की रचना करता है कुबेर और वज्रचमर सहित आपके 111 गणधर आपकी दिव्य ध्वनि का सार सब तक पहुंचाते हैं। आपका केवली काल एक लाख पूर्व सोलह पूर्वांग 6 मास का होता है,

फिर एक माह के भोग निवृत्ति काल के लिए श्री सम्मेदशिखरजी पहुंच जाते हैं, वहां मोहन कूट (यानि पुष्पदंत भगवान की सुप्रभ कूट के बाद) से 324 महामुनिराजों के साथ चित्रा नक्षत्र में अपराह्न काल में शेष चारों-अघातिया कर्मों का नाश कर एक समय में सिद्धालय में विराजमान हो जाते हैं, वह दिन था फाल्गुन कृष्ण की चतुर्थी, जो इस वर्ष 20 फरवरी को है।

आपका तीर्थप्रवर्तन काल नौ हजार करोड़ सागर चार पूर्वांग वर्ष रहा।

बोलिए छठे तीर्थंकर श्री पदमप्रभु के मोक्ष कल्याणक की जय-जय-जय।