भगवान नीलाम, अभी ज़िंदा हैं शैतान : मुंबई में रूके, पेरिस में जारी : मूर्ति चोर कब होंगे बेनकाब? जैन मूर्तियों की धड़ल्ले से चोरी में, किसकी मिलीभगत

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04 अप्रैल 2024 / चैत्र कृष्ण सप्तमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/शरद जैन /
आखिरकार एक सफलता तो मिल ही गई, किसके प्रयासों से, तो एक नाम लेना मुश्किल होगा, क्योंकि जब जंगल में आग लगी तो सबने बुझाने के प्रयास किये, तब उस चिड़िया का नाम भी आया, जो चोंट में एक बूंद लेकर, अपने जलते परों की परवाह ना करते आग में वो बूंद डालती रही। पर यह छोटी सफलता है, क्योंकि इससे बड़ी नीलामी पेरिस में 11 अप्रैल को 11 बजे हो रही है, जिस पर कोई ध्यान नहीं।

बस ऐसे ही इस बार राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी, ग्लोबल महासभा, विश्व जैन संगठन, जैन धर्म संरक्षण महासंघ, महापंचायत, साथ ही स्वाति जैन, महेश जैन जैसे जागरूकों की लम्बी सूची बन गई, और चैनल महालक्ष्मी की छोटी-सी आवाज, वहीं आप सबके सहयोग से बनी, जिसमें आचार्य श्री पुष्पदंत सागरजी, आचार्य श्री सुनील सागरजी, आचार्य श्री गुणधरनंदी जी, आचार्य श्री सूर्य सागरजी अगरकर समेत अनेक संतों का भी योगदान और इन सबमें सबसे बड़ा सहयोग रहा मेल्कम एफ. टोडीवाला का, जिन्होंने सबकी सुनी, कई के अपशब्द भी सुने, फिर जैन मूर्तियों की नीलामी स्थगित कर दी। सामूहिक प्रयास सफलता तो दिला ही देता है।

चैनल महालक्ष्मी ने उससे लगातार सम्पर्क रखा, स्थगित करने से पहले से बाद तक, उनको गलत भी कहा और धन्यवाद भी दिया। सरकारी विभागों से बात की, पता किया तो पाया कि सभी मूर्तियां व अन्य वस्तुओं पर टोडीवाला की ओर से ड्यूटी और जीएसटी दिया गया। कस्टम के बाद एएसाई की भी अनुमति है, जिससे वो बाकायता खरीदने-बेचने के अधिकार प्राप्त कर चुके हैं। पुलिस में भी मूर्तियों के प्रति कोई रिपोर्ट मेल नहीं खाती। पर पुलिस से मेल खा भी नहीं सकती, सबके पहचान चिह्न प्रशस्ति आदि को बड़ी होशियारी से पहले ही मिटा दिया जाता है, और दूसरा जब चोरी की रिपोर्ट की जाती है, तो उसका पूरा केवाईसी, चित्र, वीडियो हर एंगल से, पूरे माप, खास पहचान आदि कभी रिपोर्ट में लिखा ही नहीं जाता। जैसे लाखों मोबाइल चोरी होते हैं, हजारों पकड़े जाते हैं। पर क्या कभी किसी को मोबाइल वापस मिल पाता है, जबकि अधिकांश में पूरा रिकॉर्ड दिया जाता है। बस इस पूरे चोरी से बिकने के घटनाक्रम, दो कमजोर कड़ी हैं, पहली, पुलिस के कागजों में अपूर्ण जानकारी, दूसरा चोर बाजार में पहुंचाने वाले कुख्यात नारकीय, जो शायद मौका मिले तो अपने मां-बाप की भी चौराहे पर खड़ा करके चंद पैसे बटोरने से नहीं चूके।

मेल्कम एफ टोडीवाला के माध्यम से, लंबी बातचीतों में उन बड़ी मछली तक पहुंचने का छोटा-सा प्रयास जरूर चैनल महालक्ष्मी ने किया तो रोंगटे खड़े करने वाली बात सामने आई, कि मंदिरों के लोग ही (ट्रस्टी भी) मूर्तियों को बेच देते हैं, खण्डित के नाम पर पहले मंदिर से बाहर, फिर इनको बेचकर पैसा बटोरना। एक बड़ा सुनियोजित चक्र है और विदेशों से हर साल भारत की सैकड़ों ऐसी मूर्तियां की करोड़ों में खरीद-फरोख्त होती है, वैध भी, अवैध भी।

पहले उन बड़ी मछलियों तक पहुंचना होगा, जो सरकारी प्रयासों व पुलिस की कड़ाई से जांच के बिना असंभव है।

इससे पहले जैन समाज पर काले बादल घिर आये थे, जब पता चला कि अपने तीर्थंकरों की 1000-1200 वर्ष प्राचीन मूर्तियों की धर्म प्रधान कहे जाने वाले, भरत चक्रवर्ती के नाम पर पड़े ‘भारत’ की औद्योगिक राजधानी मुंबई के पांच सितारा होटल में बोलियों से बिक्री हो रही है, वो अब रुक गई, जब उसी दिन कुंडलपुर के बड़े बाबा के दरबार में आचार्य श्री के सिंहासन पर विराजमान करने के लिये निर्यापक श्रमण श्री समय सागरजी का आचार्य पदारोहण महोत्सव 300 से ज्यादा पिच्छियों और लाखों श्रावक-श्राविकाओं के बीच हो रहा होगा, चैनल महालक्ष्मी को मिली जानकारी के अनुसार आगामी 11 अप्रैल को 11 बजे फ्रांस की राजधानी पेरिस में DROUOT.com पर इससे भी बड़ी नीलामी हो रही है, जिनमें बड़ी संख्या में जैन तीर्थंकर प्रतिमायें शामिल हैं।

टोडीवाला आॅक्शन के मेल्कम एफ. टोडीवाला से चैनल महालक्ष्मी ने सीधी बात की तो उसका गजब का तर्क था कि हम बाहर से भारतीय पुरातन खरीदकर वापस ला रहे हैं, उसके लिए बाकायदा ड्यूटी और जीएसटी दी है। वो एएसआई के पंजीकृत लाइसेंसधारी विक्रेता हैं। हमारी पुरातन विदेशों से वापस भारत में लौटे, इसलिये वो विदेशों से खरीदकर यहां नीलामी से बेचते हैं।
चैनल महालक्ष्मी ने उससे कई तर्क किये कि ये मूर्तियां मंदिरों से चोरी हो कर, स्मग्लिंग के रास्ते विदेशों में पहुंचती हैं, वहां बोलियां लगाकर शोपीस बना दी जाती हैं, ऐसे ही तीन साल पहले अमरीका के होटल का खुलासा भी चैनल महालक्ष्मी ने किया था।

टोड़ीवाला आॅक्शन का तो दावा है कि खंडित मूर्तियों को मंदिर के ट्रस्टी ही बेच देते हैं। इतने बड़े आरोप पर हमने सीधा कहा कि प्रमाण दो, अपने दावे पर। इस पर गोल-मटोल जवाब मिला। पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि मुझे आपने रोक दिया, पर विदेशों की नीलामी को रोकना क्या संभव होगा? सैकड़ों प्रतिमायें पिछले साल भी बेची, इस बरस भी कुछ इसी तरह अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिमायें पुरातन लगी हैं नीलामी की कतार में। सभी पर से वे चिह्न मिटे हुए हैं, जिनसे इनकी पहचान हो सके। मंदिरों से चोरी, स्मगल करके विदेशी बाजारों में लाखों में बिकती हैं, वहां बदलाव होकर नीलामी के बाजार से पूरी दुनिया के शौकिये धनवानों व पैसा बनाने वालों के हाथों में पहुंच जाती है।

भारतीय संविधान की धारा-25 सभी को अपनी धार्मिक भावनाओं के लिये संवैधानिक अधिकार मिला है और अल्पसंख्यक सम्प्रदाय को विशेष प्रावधान। उसका हनन हो रहा है, श्रद्धा, वंदना व पूजन के भगवान को सरे अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में खड़ा कर दिया है। आज हमारी जागरूकता न होने से ही, हम अपनी विरासतों को अपनी आंखों के सामने लुटते बेशर्म होकर यूं ही क्या देखते रहेंगे

इसकी पूरी जानकारी आप चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नं. 2521 तथा 2525 में देख सकते हैं।