कुंडल सिद्ध अतिशय क्षेत्र – 3000 वर्ष प्राचीन पारस प्रतिमा खंडित- ॰ क्या इसके पीछे हैं कोई गंभीर साजिश

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क्षुल्लक प्रसन्न सागर जी की आंखें भर आई
कल विशाल मूक मोर्चा की तैयारी
॰ जहां पुजारी15 दिन में करता अभिषेक
॰ जहां श्रावक दर्शन के लिये तोड़ देते ताले
॰ एएसआई की गैरजिम्मेदाराना चौकसी
॰ तीन प्रतिमाओं को नष्ट करने की कोशिश

08 मई 2025 / बैसाख शुक्ल एकादिशि /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
27 अप्रैल की सुबह 7 बज रहेथे, नीचे पार्श्वनाथ दि. जैन मंदिर के कुंडल में पूजा करने के बाद 65 वर्षीय पुजारी जीवंधर उपाध्याय जरि पार्श्वनाथ मंदिर में अभिषेक-पूजन के लिये सीढ़िया पार कर रहे थे। लगभग 250 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचते हैं, इन सीढ़ियों का निर्माण तीर्थक्षेत्र कमेटी ने करवाया था। जरि पार्श्वनाथ के बाद लगभग ढाई किमी का कच्चा रास्ता पार करने के बाद 3000 वर्ष प्राचीन यानि चतुर्थ कालीन पार्श्वनाथ जी के दर्शन होते हैं।

जरि पार्श्वनाथ मंदिर से वापस आते समय तीन भक्तों में से एक नाने कालरोगोंडा पाटिल ने बताया कि किसी ने पारस प्रतिमा को खंडित कर दिया है। बस यह सुनते ही जीवंधर तुरंत डोगरा स्थित गिरि पाशर््नाथ मंदिर पहुंचे। वहां देखकर स्तब्ध रह गये, कि मूलनायक पार्श्वनाथ प्रतिमा की नाक, आंख और जांघ को क्षतिग्रस्त कर दिया है। पदमावती माता की मूर्ति के सिर का एक सर्प फण तोड़ा गया। दूसरी पार्श्वनाथ प्रतिमा की नाक और सिर को खंडित किया गया है। क्षेत्रपाल मूर्ति की आंखों और मूंछों को नष्ट किया गया है।

सान्ध्य महालक्ष्मी ने इस बारे में ट्रस्टी दीपक वर्ने से बातकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली। उन्होंने बताया कि उस दिन मीटिंग के लिये सभी ट्रस्टी ग्राम पंचायत कार्यालय के पास धर्मशाला में थे। सभी शिकायत दर्ज कराने थाने पहुंचे।

थान से अधिकारी, डॉक स्क्वॉड, फिंगर प्रिंट विशेषज्ञ आदि घटनास्थल पहुंच गये। उन्होंने सान्ध्य महालक्ष्मी को बताया कि पहले ताला लगाते थे, पर दर्शन के लिये आने वाले यात्री ही ताला तोड़ देते थे। हम व्हाट्सअप ग्रुप में लगातार सूचना देते कि आप यहां से चाबी ले सकते हैं, और जो बार-बार दर्शन को आते, हम उनके लिये चाबी स्वयं रखने की सुविधा भी देते, पर दर्शनार्थी बार-बार ताला तोड़ देते, एक साल में 15 बार ऐसा हो गया। फिर पिछले पर्युषण में हमने फैसला किया कि ताला बंद ही नहीं किया जाएगा। तब से ताला नहीं लगा। रोजाना 3-4 लोग ही औसतन दर्शन को आते हैं। पुजारी हर 25 दिन में अभिषेक पूजा करने गिरि पार्श्वनाथ जाता है, यानि हर अमावस, पूर्णिमा को।

27 अप्रैल से अभी समाचार लिखे जाने तक, कोई भी सुराग नहीं मिला है। इस पर पूरी जानकारी चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नं. 3308, 3326 में देख सकते हैं। गत रविवार 4 मई को जूम पर आचार्य श्री देवनंदीजी, आचार्य श्री गुणधरनंदी जी के सान्निध्य में इस पर विशेष विरोध मीटिंग का भी आयोजन ग्लोबल महासभा द्वारा किया गया।

सान्ध्य महालक्ष्मी चिंतन: लगातार अलग-अलग रूप में जैन समाज पर हमलों का सिलसिला जारी है। यह कोई शरारत है या कोई बड़ी साजिश। यह सब जानते हैं कि खंडित प्रतिमा को मंदिर में पूजा नहीं जाता, तो क्या मूर्ति तस्कर इस प्रतिमा को खंडित कर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तो नहीं ले जाना चाहते, जहां इसका करोड़ों में मूल्य होता है। इसकी गहन जांच हो तथा पुरातत्व विभाग सुरक्षा करने में विफल रहा है, तो उस पर भी कार्यवाही होनी चाहिये। चतुर्थ कालीन मूर्ति को खंडित करना, किसी बड़ी साजिश का संकेत लगता है।