शिखरजी की ओर जा रहे आर्यिका संघ में तेज रफ्तार कार ने मारी टक्कर, 3 घायल

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पीठ में फ्रेक्चर के बावजूद आर्यिकाश्री ने जारी रखा विहार, घायल श्रावक-श्राविका अस्पताल में
॰ नेता के आगे-पीछे 50-100 पुलिस वाले, तो संतों के साथ 4 भी क्यों नहीं?
॰ संतों के लिए सड़कें बन रही यमराज, वाहन बन रहे काल
॰ दोषी के परिजनों ने मांगी माफी और जीवन भर संतों की सेवा का किया वादा

22 अप्रैल 2025 / बैसाख कृष्ण नवमी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/

गुरुवर आचार्य श्री विद्यासागरजी की समाधि स्थली डोंगरगढ़ से शाश्वत तीर्थ सम्मेदशिखरजी की ओर विहार करते रविवार 20 अप्रैल को ज्येष्ठ आर्यिका श्री गुरुमति माताजी और आर्यिका श्री द्रणमति माताजी 42 पिच्छी का संघ जब रांची से आगे ओपी थाना क्षेत्र के विकास स्कूल के आगे रांची-हजारीबाग सड़क से विहार कर रहा था, तब सीसीटीवी में कैद चित्रों से स्पष्ट दिखा कि सायं 7 बजकर 7 मिनट पर एक तेज ओमनी कार पीछे से आकर संघ में जोर से टक्कर मारती है। टक्कर इतनी तेज थी कि आर्यिका श्री चिंतनमति माताजी, ब्र. संजय भैय्या, श्राविका नीतू जैन कार की टक्कर से बहुत दूर उछल गये। जिसके बाद ब्र. संजय भैया और नीतू जैन को निकट के अस्पताल में भर्ती कराया, जिनका इलाज जारी है। वहीं आर्यिका श्री चिंतनमति माताजी की पीठ में माइनर फ्रैक्चर है, उन्होंने वैद्यराज से प्राथमिक उपचार के बाद विहार जारी रखा।

अजीत सिंह उर्फ मुन्ना, जिसने टक्कर मारी, उसका परिवार आर्यिका संघ के समक्ष पहुंचा और पूरे संघ से बेहद नम आंखों से गलती के लिए क्षमा मांगी और आश्वासन दिया कि हम जीवन भर साधु-संतों की सेवा करेंगे। करुणामयी संघ ने क्षमा सिद्धांत को आत्मसात करते हुए परिजनों को क्षमादान दिया।

इस घटना पर आचार्य श्री सुनील सागरजी ने कहा कि साधु-संतों के लिए सड़कें यमराज बन गई और वाहन काल बन गये हैं। समाज और प्रशासन उनकी सुरक्षा के लिये कुछ नहीं कर रहा। समाज में सुधारक की महत्वपूर्ण भूमिका बनाने वाले संतों के प्रति ऐसा व्यवहार बहुत शर्मनाक है।

आचार्य तन्मय सागरजी ने झारखंड सरकार से कहा कि एक नेता के आगे-पीछे 50 गाड़ियां, सैकड़ों सुरक्षाकर्मी तैनात किये जाते हैं। साधु-संत राष्ट्रीय धरोहर हैं, राज्य सरकार का कर्तव्य है कि इतने बड़े संघ को राजकीय अतिथि घोषित कर राज्य का गौरव बढ़ाये और हर संत के विहार में पूरी सुरक्षा व्यवस्था करे।

चैनल महालक्ष्मी चिंतन : न केवल जैन साधु-संतों, बल्कि अन्य धर्मों के पग विहार करने वाले साधुओं के प्रति जहां सरकार सुरक्षित विहार व्यवस्थायें उपलब्ध नहीं करा रही, वहीं समाज भी कर्तव्यहीन, लापरवाह होता जा रहा है। अनेक राज्यों ने विशेष निर्देश जारी कर रखे हैं, पर निकट के थाने को पूरे विहार शैड्यूल देकर सरकारी व्यवस्थाओं की सुविधा न लेने के लिये हम ही जिम्मेदार हैं। यह बहुत ही गंभीर लापरवाही है। सभी कमेटियों के लिये यह नियम लागू हो कि आगे विहार से पूर्व सूचना देंगे तथा विहार में बड़े संघ लंबे फैलाव कर नहीं चलेंगे। उचित संख्या में श्रावकों की उपस्थिति भी जरूरी है। ये ढाई माह, संतों के लिये विहार का ही समय है। जिम्मेदारी निभायें, सुरक्षित विहार करायें।