जैन समाज अब विविध विवादों को छोड़कर, पंथवाद छोड़कर , क्या एक हो जाएगा? बनी आशा!

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22 अप्रैल 2025 / बैसाख कृष्ण नवमी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/

विले पार्ले , मुंबई में श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर पर बीएमसी के बर्बरतापूर्वक अत्याचार ने जैन समाज को एक माला में पिरोने का काम जैसे शुरू कर दिया । अभी तक दिगंबर और श्वेतांबर , आपस में विभिन्न विवादों से अदालत में लड़ रहे हैं और करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं। ऐसे में अगर आपस में बैठकर कोई फैसला निकल आए , तो निश्चय ही वह पूरे जैन समाज के हित में होगा। बस इसी सोच को लेकर, मिल बैठे दोनों और आशा जगी कि ढाई घंटे की चर्चा के बाद कोई सार्थक शुरुआत होगी और यह पूरे जैन समाज को एक नई दिशा की ओर बढ़ने की ओर प्रेरित करेगी।

तीर्थों के विवाद को दृष्टिगत करते हुए जैन समाज की सकारात्मक पहल
20 वे तीर्थंकर श्री मुनीसुव्रत नाथ भगवान जी के ज्ञान कल्याणक दिनांक 22.04.2025 को श्वेताम्बर एवं दिगम्बर समाज के बीच तीर्थों से सम्बन्धित लम्बे समय से चल रहे मतभेदों पर सर्वमान्य समाधान खोजने एवं जैन एकता को बनाये रखने के उद्देश्यार्थ दोनों पक्षों के बीच सभी विवादों के विभिन्न बिंदुओं पर करीब ढाई घंटे तक विस्तृत चर्चा हुई है।
जिसमें दोनों समाज के निम्नलिखित प्रतिनिधि उपस्थित रहे
श्री हर्ष भाई संघवी ( गृहमंत्री-गुजरात )
श्री सुधीरभाई मेहता (चेयरपर्सन आनंदजी कल्याण जी पेढ़ी & Torrent group)
श्री श्रीपाल भाई शाह ( आनंदजी कल्याण जी पेढ़ी)
श्री संतोष जी पेंढारी, नागपुर (राष्ट्रीय महामंत्री – भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी)
श्री पारस भाई जैन बज( अध्यक्ष – भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी, गुजरात अंचल)
उपस्थित महानुभावों ने श्वेताम्बर एवं दिगम्बर पक्ष का प्रतिनिधित्व करते हुए सकल जैन समाज के भविष्य को देखते हुए सकारात्मक वार्ता की जिससे हमारे तीर्थों का संरक्षण एवं विकास के साथ-साथ समाजिक एकता भी बनी रहे, फलस्वरूप दोनों ही पक्षों द्वारा वार्ता को आगे बढ़ाने हेतु शीघ्र योग्य कदम उठाने का र्निणय लिया गया।